शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण के गाने पर विवाद छिड़ा हुआ है। देशभर में इसकी चर्चा जोरों पर है। पठान फिल्म के इस गाने में दीपिका ने भगवा रंग का बिकिनी पहना हुआ है। जिसका जमकर विरोध हो रहा है। देशभर में पठान बायकॉट के नारे लग रहे हैं। कुछ शहरों में हिन्दू व उनके सहयोगी संगठनों द्वारा शाहरुख खान के पुतले भी जलाये जा रहे हैं। हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि दीपिका के भगवा बिकिनी पहनने से उनकी भावनाएं आहत हो रही हैं।
दरअसल, रंगों से भावनाएं आहत होना कोई नई बात नहीं है। पहले भी रंगों से भावनाएं आहत होती रही हैं। हिन्दूओं के लिए भगवा रंग में सबकुछ है, वहीँ इस्लाम को मानने वालों के लिए हरा रंग और ईसाईयों के लिए सफ़ेद रंग के बहुत मायने हैं। रंगों का यही पैटर्न राजनीति में भी है। किसी ने हरा, तो किसी ने अपने बैनर में हरे रंग को शामिल किया है। वहीँ किसी के बैनर में नीले रंग की भी प्रधानता है। आज हम बात करेंगे रंगों के धर्म से जुडी राजनीति के बारे में-
प्रकृति का भगवा रंग
वैदिक काल में ऋषि प्रकृति से काफी प्रभावित थे। उन्होंने सूर्यास्त से लेकर अग्नि तक का रंग नारंगी पाया। जो कि वेदों और अन्य शुरूआती धर्मग्रंथों में दिख जाता है। यहीं से सनातन धर्म में भगवा या नारंगी रंग को बलिदान, ज्ञान, शुद्धता, त्याग और सेवा के रंग में देखा जाने लगा।

वेदों में लिखा है-
सिन्दूरं शोभनं सौभाग्यं सुखवर्धनं ।
सिन्दूरमरूणाभासं जपाकुसुमनिभम्।।
अर्थात् लाल रंग का सिन्दूर शोभा, सौभाग्य और सुख को बढ़ाने वाला है। प्रात:कालीन सूर्य की आभा जवाकुसुम की तरह सिन्दूर आपको अर्पित करते हैं।
सनातन धर्म के पथ पर चलने वाले आदि शंकराचार्य ने भी भगवा वस्त्र धारण किया था। वहीँ छत्रपति शिवाजी ने भी मुगलों से लड़ते हुए भगवा ध्वज को अपनी सेना का द्योतक बनाया था। जिसके बाद यह भगवा रंग हिन्दू धर्म में हर जगह शामिल किया जाने लगा। स्वामी विवेकानंद के वस्त्र से लेकर हिन्दुत्ववादी संगठन आरएसएस के ध्वज का रंग भगवा ही है।

इस्लाम का पाक हरा रंग
इस्लाम में हरे रंग को सबसे पवित्र माना जाता है। कुरान को हरे रंग से कवर करते हैं। मस्जिद के गुंबद को हरे रंग से पेंट करते हैं।

कुरान के चैप्टर 18 सूरा 31 में बाग़ यानी जन्नत का जिक्र है। इसमें बताया गया है कि बाग़ (जन्नत) में नदियाँ बहती हैं। यहां लोग सोने के कंगन पहनते हैं। उनके शरीर पर महीन रेशमी और मोटे रेशम से बना हरा कपड़ा होता है। ऐसी मान्यता है कि इस्लाम के संस्थापक पैगम्बर मोहम्मद को हरा रंग अत्यंत प्रिय था। उन्होंने हरे रंग की पगड़ी पहनी थी। एक हदीस कहती है-
“जब अल्लाह के रसूल की मृत्यु हुई, तब वह एक हिब्रा बर्द से ढंका हुआ था।”
यानी उनके शरीर को हरे रंग के कपड़े से ढंका गया था। किताब तफसीर, अल-कुर्तुबी में पैगम्बर की तुलना घाटी के बीच वाले हिस्से से की गई है। जहां हरे पेड़ होते हैं और ज्यादा पानी होता है। किताब में लिखा गया है कि यह हिस्सा सबसे सुंदर होता है। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे कई इस्लामिक देशों ने अपने नेशनल फ्लैग में हरे रंग के झंडे को प्राथमिकता दी है।

बाईबिल का होली सफ़ेद रंग
बाईबिल में सफ़ेद रंग को ईमानदारी और पवित्रता का रंग माना गया है। सफ़ेद रंग को देवताओं का वस्त्र बताया गया है। ईशु के पहले शिष्यों में से एक जॉन ने बाइबिल (4:4) में स्वर्ग के बारे में बताते हुए कहा है- वहां 24 सिंहासन हैं। सभी पर सफ़ेद वस्त्र पहने हुए देव बैठे हैं। सबके सर पर सोने का मुकुट है।

प्राचीन मिस्त्र में सफ़ेद रंग को देवी ईसिस से जोड़कर देखा जाता था। देवी ईसिस ने अपने मरे हुए माता-पिता को पुनर्जीवित कर दिया था। प्राचीन रोम में आग की देवी वेस्टा के सफ़ेद वस्त्र धारण करने के बाद इसे पवित्रता, शुद्धता और निष्ठा का प्रतीक माना जाने लगा था। वर्ष 1556 में इसी कांसेप्ट को फॉलो अप करते हुए पहली बार पोप, रोमन कैथोलिक चर्च के हेड ने त्याग और पवित्रता के प्रतीक के तौर पर सफ़ेद वस्त्र धारण किया। इसके बाद पॉप द्वारा पहने जाने वाला ये अधिकारिक रंग माना जाने लगा।
राजनीति का भगवा रंग
देश आजाद होने के बाद पहली बार हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की बात करने वाली पहली पार्टी जनसंघ थी। 1984 में जनसंघ खत्म हुई और नेताओं ने हिंदुत्व की विचारधारा पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गठन किया। भाजपा के झंडे में भगवा रंग जनसंघ से ही आया है। इसमें नीचे एक चौथाई भाग में हरा रंग जोड़ दिया गया। योगी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने नवंबर 2017 में कहा था कि बीजेपी किसी से भेदभाव नहीं करती। हमरे झंडे में भगवा हिन्दू समाज की पहचान है, तो हरा रंग मुस्लिम समाज की।

नीला रंग
बहुजन समाज पार्टी दलितों के उत्थान की बात करती है। यह बुद्ध और अम्बेडकर की विचारधारा पर चलती है। अम्बेडकर के लिए कहा जाता है कि उन्हें नीला रंग अत्यधिक पसंद था। वे अक्सर नीले कोट में ही नजर आते थे। कहीं कहीं बुद्ध के साथ नीले रंग को भी जोड़ा जाता है।

बसपा नेता सुधीर भदौरिया कहते हैं, “बाबा साहब को नीला रंग बहुत पसंद था। इसलिए उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी का रंग नीला रखा। अम्बेडकर का इस रंग से जुड़ाव हुआ तो दलित समाज ने इसे अंगीकृत कर लिया और नीला रंग दलितों के संघर्ष और उत्कर्ष की पहचान बन गया।
किसानों का हरा रंग
राजनीति में कई पार्टियों ने अपने झंडे में हरे रंग को शामिल किया है। जहां हरे रंग को इस्लामी समर्थकों ने अपनाया। वहीँ, हरा रंग किसानी के संदर्भ में भी प्रयोग किया जाता रहा है। हरा रंग आमतौर पर धरती और प्रकृति के रंग के तौर पर देखा जाता रहा है।

समय के साथ इसका संबंध इस्लाम से जोड़ा जाने लगा और मुस्लिमों की बात करने वाली पार्टी एआईएमआईएम समेत बिहार, यूपी और किसानी बैकग्राउंड के कई प्रदेशों में यह रंग झंडों और पार्टी रैलियों में प्रयोग होने लगा।