Chhath Pooja 2024: डाला छठ पर्व के अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए शुक्रवार की भोर में काशी के 84 गंगा घाटों और विभिन्न कुंडों, सरोवरों व पोखरों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। संतान की प्राप्ति और उनकी सुख-समृद्धि व परिवार की खुशहाली की कामना के साथ व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन किया।


Chhath Pooja 2024: चार बजते ही घाटों का दृश्य बदलने लगा
सुबह होते ही काशी के घाट, कुंड और सरोवरों का दृश्य एकदम अलग नजर आया। कहीं छठी मइया के विदाई गीत गूंज रहे थे तो कहीं श्रद्धालु पूरब की ओर निहारते हुए भगवान सूर्य के दर्शन का इंतजार कर रहे थे। जैसे-जैसे चार बजने को हुए, घाट की ओर जाने वाली गलियों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। ढोल-नगाड़ों और बैंड-बाजों के साथ भक्त गंगा तट (Chhath Pooja 2024) तक नाचते-गाते पहुंचे। पुरुष प्रसाद की टोकरी सिर पर लेकर और महिलाएं दंडवत करते हुए घाट की ओर अग्रसर थीं। गन्ने के मंडप बनाकर अखंड दीप के साथ पूजन का आरंभ किया गया।


सूप लेकर जल में खड़ी महिलाएं उगते सूर्य का करने लगी इन्तजार
पांच बजे के बाद भी हल्की धुंध और अंधेरे का माहौल था। श्रद्धालुओं की नजरें बार-बार पूरब की ओर उठतीं, भगवान सूर्य के उगने का बेसब्री से इंतजार करतीं। महिलाएं पूजा संपन्न करने के बाद अपने सूप लेकर जल में खड़ी होकर सूर्यदेव की प्रतीक्षा करने लगीं।


कुछ देर बाद जब भगवान भास्कर लालिमा के साथ पूरब में उदित हुए, तो अस्सी से राजघाट (Chhath Pooja 2024) तक हर-हर महादेव के जयघोष से वातावरण गूंज उठा। महिलाओं ने दूध से सूर्य को अर्घ्य दिया, और गन्ने के मंडप के बीच दीपक जलाकर पूजा की। व्रती महिलाओं के परिवार जनों ने बारी-बारी से अर्घ्य अर्पित किया और भगवान को फल, सब्जियों, तथा पकवानों का भोग लगाकर आरती की।


पूजा के बाद सुहागिन व्रती महिलाओं ने एक-दूसरे के माथे पर सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया। पूजा समाप्ति पर प्रसाद (Chhath Pooja 2024) पाने के लिए श्रद्धालुओं की होड़ लग गई। गंगा तट से गोदौलिया तक श्रद्धालु प्रसाद लेने के लिए खड़े नजर आए।
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