वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काशी के डोमरी स्थित सतुआ बाबा गौशाला में आयोजित शिव महापुराण कथा में हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा से मुलाकात कर शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह यात्रा सनातन धर्म और भारत के लिए इसी वृहद रूप में आगे बढ़ती रहे।
धर्म और राष्ट्रीय एकता का संदेश
मुख्यमंत्री ने कथा स्थल पर जनता को संबोधित करते हुए कहा, “पावन कथाओं ने साबित कर दिया है कि देश धर्म की बात सुनने को तैयार है। व्यास पीठ सुनाने को तैयार है और भक्त सुनने के लिए। इन पावन कथाओं से राष्ट्रीय एकता को संबल मिलता है और राष्ट्रधर्म को मजबूती मिलती है।” उन्होंने कहा कि धर्म, समाज और कथाओं की परंपरा तभी सुरक्षित रहेगी, जब हम सब राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखें।

योगी ने प्रयागराज महाकुंभ का जिक्र
सीएम योगी ने 2025 में आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारी की चर्चा करते हुए कहा कि 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच यह पावन आयोजन होगा। उन्होंने काशी की कथा को महाकुंभ से पहले एक आध्यात्मिक कुंभ का प्रतीक बताया।
अनुशासन और श्रद्धा का महत्व
योगी ने पं. प्रदीप मिश्रा की हापुड़ में हुई कथा का जिक्र करते हुए कहा, “श्रद्धालुओं की भीड़ के बावजूद अनुशासन और भक्ति का अद्भुत दृश्य वहां देखने को मिला। परमभक्त की पहचान उसका अनुशासन है, जो उसे भौतिक साधनों पर भी नियंत्रण देता है। यही दृश्य फर्रुखाबाद और काशी में भी देखने को मिल रहा है।”

जातिवादियों को मिला जवाब
योगी ने मंच से कहा, “कौन कहता है कि हम बंटे हुए हैं? कहां है जातिवाद और संप्रदायवाद? इस कथा का विहंगम दृश्य उन लोगों के लिए जवाब है, जो समाज को जाति, क्षेत्र और भाषा के नाम पर बांटना चाहते हैं।”

भगवान वेदव्यास का महत्व
उन्होंने भगवान वेदव्यास का उल्लेख करते हुए कहा कि वेदव्यास ने धर्म, अर्थ और काम की सिद्धि के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनके द्वारा संकलित महाभारत और श्रीमद्भागवत जैसे ग्रंथ ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का अद्भुत समागम हैं।
सनातन धर्म और सामाजिक समता का प्रतीक
मुख्यमंत्री ने कहा, “यह आयोजन न केवल सनातन धर्म, बल्कि सामाजिक समता और लघु भारत का प्रतीक है। हम सब धर्म योद्धा के रूप में राष्ट्रधर्म के निर्वाह के लिए एकजुट हैं।”
Highlights
शिव महापुराण कथा के इस आयोजन ने धर्म, अनुशासन और राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया। सीएम योगी ने इसे जातिवाद और संप्रदायवाद के विरोध में एक प्रेरणादायक पहल बताया। साथ ही, महाकुंभ की तैयारियों के साथ सनातन परंपराओं को संरक्षित रखने का आह्वान किया।
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