- Jitendra Shrivastava
Daala Chhath: दीपावली के बाद छठ की तैयारियां जोरों पर हैं। डाला छठ पर बनारसी सूप की जबर्दस्त डिमांड होती है। पीतल निर्मित डिजाइनर सूप बिहार एवं झारखंड के घर-घर पहुंचता है। इसी सूप में पूजन सामग्री रखकर व्रती महिलाएं छठी मइया की पूजन-अर्चन करती है। विशेषकर डाला छठ को ही ध्यान में रखकर इस सूप का निर्माण होता है। विशेष डिजाइन सूप की आपूर्ति सिर्फ बिहार एवं झारखंड ही देश के कोने-कोने में की जा चुकी है।
एक समय था जब डाला छठ [Daala Chhath] पर परंपरागत सिकठी निर्मित सूप की डिमांड होती थी पर अब मां छठ की पूजइयां करने वाले भक्त पीतल सूप के दीवाने हो चुके हैं। बनारस में इस सूप का निर्माण ईश्वरगंगी, काशीपुरा, भुलेटन, औरंगाबाद, गायघाट आदि क्षेत्रों में प्रमुखता से होता है। करीब दो दर्जन कारखानों में छठ के दो माह पूर्व से इसका निर्माण शुरू हो जाता है और एक सप्ताह पूर्व कारखानों में निर्मित सूप की आपूर्ति हो जाती है। बड़े कारखानों में जहां 30 से 40 कारीगर दिन-रात काम करते हैं तो छोटे कारखानों में 10 से 20 कारीगर। कुछ कारीगर घर पर कच्चा माल लाकर इसे तैयार कर दुकानदार को देते हैं।
कारखानों में चार साइज के सूप [Daala Chhath] का निर्माण होता है। इसकी कीमत 350 रुपये से लेकर 650 रुपये तक होती है। फिनिशिंग के कारण ही यह सूप सिर्फ बिहार एवं झारखंड ही नहीं देश के अन्य शहरों में भी लोकप्रिय है। विक्रेता घनश्याम जैन की माने तो एक पर्व पर 40 से 50 लाख से अधिक सूप बिक जाते हैं। सर्वाधिक डिमांड मीडियम साइज वाले सूप की होती है।
Daala Chhath: सूप पर होती है सूर्य की आकृति की नक्काशी
पीतल के इस डिजाइनर सूप [Daala Chhath] पर सूर्य की आकृति की नक्काशी ग्राहकों को खासा आकर्षित करती है। डाला छठ [Daala Chhath] का पर्व सूर्य भगवान को अर्पित होने के कारण सूप पर इसकी आकृति खासा महत्व रखती है। सूप पर सूर्य की आकृति के अलावा दीपक, अर्घ्य देती दो महिलाएं ओम की आकृति भी लोगों को काफी आकर्षित करती है।
ऐसे बनता है पीतल का सूप
तांबा+जस्ता निर्मित पील को गला कर छह इंच चौड़ी एवं चार इंच मोटी मोटाई का गोला तैयार किया जाता है। तत्पश्चात बेलन मशीन पर साइज के अनुसार शीट बनवाया जाता है। कुछ कारखानेदार मिजार्पुर एवं जगाधारी (पंजाब) से रेडीमेड शीट मंगाते हैं। शीट तैयार होने के बाद कारीगर की कारीगरी शुरू हो जाती है। सारा काम हस्तनिर्मित होता है। शीट पर विभिन्न प्रकार की आकृतियों को उभारने का काम कारीगर ‘डाई’ के माध्यम से करते हैं। यह काम इतना बारीक होता है कि जरा सी चूक चद्दर बर्बाद कर देती है।
Highlights
कभी बनता था मीरजापुर में
कारीगरों का कहना है कि एक जमाना था जब मीरजापुर में इस तरह के सूप का निर्माण होता था। विक्रेताओं और कारीगरों की माने तो मीरजापुर निर्मित सूप में ऐसी फिनिशिंग नहीं होती थी, जैसी की बनारसी सूप में देखने को मिलती है। चूंकि पुराने परात या पीतल के बर्तन को गलाकर पीतल तैयार करने के बाद मीरजापुर में यह बनता था, सो वह लुक नहीं आता था।
चार साइज का होता है डिजाइनर सूप
पीतल निर्मित डिजाइनर सूप बाजार में चार साइज का उपलब्ध है। नंबर एक साइज छोटा होता है जबकि नंबर दो साइज मीडियम। नंबर तीन साइज सूप बड़ा होता है जबकि नंबर चार साइज का सूप आर्डर पर तैयार किया जाता है।
इन-इन शहरों में होती है आपूर्ति
बिहार एवं झारखंड के कैमूर, भभुआ, मोहनिया, दुर्गावती, कुदरा, सासाराम, पटना, आरा, छपरा, सीवान, गोपालगंज, गया, बक्सर, रोहतास, डेहरी आनसोन, रांची, बैजनाथ धाम, करवंदिया, औरंगाबाद, बेटा, दानापुर, रघुनाथपुर, देवधर, मोकामा, हजारीबाग, कोडरमा, धनबाद, पारसनाथ, बोकारो, पलामू आदि। देश के अन्य प्रांतों दिल्ली, मुम्बई, मध्य प्रदेश के अलावा पूवार्चंल समेत यूपी के विभिन्न शहरों में भी।