Cough Syrup: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार को एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। वरिष्ठ अधिकारियों की संयुक्त ब्रीफिंग में कफ सिरप रैकेट से जुड़े ऐसे खुलासे हुए, जिन्होंने न सिर्फ यूपी पुलिस की बड़े पैमाने पर चल रही कार्रवाई को सामने रखा, बल्कि इस पूरे खेल के अंतरराष्ट्रीय तारों की भी पुष्टि कर दी।
प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, डीजीपी राजीव कृष्ण, और सचिव औषधि डॉ. रोशन जैकब— तीनों शीर्ष अधिकारी एक मंच पर दिखे। इस दौरान डीजीपी राजीव कृष्णा ने सीधे कहा कि “ड्रग माफिया को ख़त्म करना प्रदेश सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। इस रैकेट में शामिल हर कड़ी पर कार्रवाई होगी।”
पिछले कुछ महीनों में कफ सिरप, नशीले पदार्थ और प्रतिबंधित ड्रग्स (Cough Syrup) को लेकर कई जिलों में लगातार छापेमारी चल रही है। डीजीपी ने बताया कि अब तक 128 FIR दर्ज की जा चुकी हैं। गिरोह के 5 में से 3 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं।
पुलिस के अनुसार, यह कोई साधारण स्मगलिंग ऑपरेशन नहीं था। यह एक संगठित नेटवर्क था जिसमें स्टॉकिस्ट, एजेंट, ट्रांसपोर्टर और सीमा पार सप्लायर (Cough Syrup) तक जुड़े हुए थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कई स्टॉकिस्ट लाइसेंसधारी होने के बावजूद कफ सिरप और अन्य दवाइयों का अवैध रूप से बड़े पैमाने पर वितरण कर रहे थे।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की पुष्टि
DGP ने कहा कि “हमें पुख्ता इनपुट मिले हैं कि कफ सिरप की सप्लाई बांग्लादेश और नेपाल में भी की जा रही थी। अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच जारी है।” यह नेटवर्क सीमाओं को लांघ चुका है और अब इसकी जांच में केंद्रीय एजेंसियों की मदद भी ली जा सकती है।
वहीं सचिव औषधि रोशन जैकब ने बताया कि कई जगहों पर लाइसेंसधारी स्टॉकिस्ट ही इस रैकेट की रीढ़ थे। दवाइयों (Cough Syrup) की भारी मात्रा में अवैध बिक्री, फर्जी बिलिंग और बोगस स्टॉक एंट्री— इन सबने फार्मा सिस्टम (Cough Syrup) की अंदरूनी खामियों को उजागर कर दिया है।
उन्होंने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में लाइसेंस की समीक्षा होगी, फार्मा सप्लाई चेन का ऑडिट किया जाएगा और जिन जिलों में कफ सिरप की खपत ‘असामान्य’ है, वहां विशेष जांच टीमें भेजी जाएंगी
इसके अलावा प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को ‘उच्च प्राथमिकता’ पर रखा है। उन्होंने साफ कहा कि “ड्रग माफिया (Cough Syrup) के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू है। रैकेट का हर लिंक, हर सप्लायर, हर फंडिंग सोर्स की जांच होगी।”
कैसे चलता था पूरा खेल?
सूत्रों और कार्रवाई से जो बातें अब तक सामने आई हैं, वे चौंकाने वाली हैं—
- ब्रांडेड और नशीले कफ सिरप को थोक में खरीदा जाता था, फिर अवैध चैनल से बेचा जाता था।
- कई जगहों पर फर्जी मरीजों के नाम पर बिल बनाए जाते थे।
- स्टॉकिस्ट, हॉकर और ट्रांसपोर्ट एजेंट इस नेटवर्क की मुख्य कड़ी थे।
- सीमावर्ती जिलों में गुप्त रास्तों का उपयोग कर नेपाल और बांग्लादेश तक सप्लाई भेजी जाती थी।
यह पूरा नेटवर्क 100 करोड़ रुपये से भी बड़ा बताया जा रहा है। जांच अभी शुरुआती स्तर पर है, इसलिए कई और खुलासे हो सकते हैं।

