Gyanvapi Case: वाराणसी के चर्चित स्थल ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व और पूजा-पाठ के अधिकार को लेकर आज 33 साल पुराने मुकदमे में एक अहम फैसला आ सकता है। हिंदू पक्ष द्वारा 1991 में दाखिल मुकदमा संख्या 610 में नए मंदिर के निर्माण और परिसर में पूजा के अधिकार की मांग की गई है। इस मामले की सुनवाई सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) युगल शंभू की अदालत में हो चुकी है, और मुस्लिम पक्ष की दलीलों के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है, जो आज लंच के बाद सुनाया जा सकता है।
Gyanvapi Case: हिंदू पक्ष ने की पूरे परिसर के सर्वे की मांग
इस मामले को लेकर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि मामले में पूरे परिसर का सर्वे कराने की मांग की गई है, जिसमें वजुखाना भी शामिल है। हिंदू पक्ष का दावा है कि वजुखाने में शिवलिंग मौजूद है, और इसके सत्यापन के लिए आधुनिक तरीकों से बिना परिसर को क्षतिग्रस्त किये सर्वे किया जाए, जिससे प्रमाणित हो सके कि वहां शिवलिंग है। सभी दलीलों को सुनाने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है जो लगभग 4 बजे तक आने की संभवना है।

हाईकोर्ट ने लगाया था आदेश पर स्टे
वहीं उन्होंने यह भी कहा कि इसे लेकर पहले सर्वे का आदेश दिया गया था लेकिन हाईकोर्ट ने इसपर स्टे लगा दिया जिसके बाद सर्वे (Gyanvapi Case) नहीं हुआ। जो ज्ञानवापी में इससे पहले सर्वे हुआ वह राखी सिंह वाले मामले 18 सन 22 को लेकर हुआ था इसे पांचो वादिनी ने दाखिल किया था। अब हम पुनः पुरे परिसर के सर्वे की मांग कर रहे हैं।

बताते चलें कि मामले में वादमित्र द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण का आदेश देने की याचिका पर भी बहस हो चुकी है। वादमित्र का कहना है कि एएसआई का पिछला सर्वेक्षण अधूरा था, और बिना खुदाई के सटीक रिपोर्ट नहीं बन सकती। अतः एएसआई द्वारा ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Case) में खुदाई करवाई जाए। वहीं, मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने अपनी दलीलों में कहा कि जब यह मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में भी लंबित है, तो अधीनस्थ न्यायालय में इस पर चर्चा का औचित्य नहीं है।
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