- सौभाग्य गौरी का भी श्रद्धालुओं ने किया दर्शन
राधेश्याम कमल
वाराणसी। वासंतिक नवरात्र के तीसरे दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने चौक स्थित मां चंद्रघंटा देवी का दर्शन-पूजन कर आशीष मांगा। मंदिर में दर्शन-पूजन करने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। गली में भी श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रही। श्रद्धालुओं ने मां भगवती को नारियल, चुनरी व अड़हुल की माला अर्पित की।

ऐसी मान्यता है कि मां चंद्रघंटा का दर्शन-पूजन करने से धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही मां भगवती मोक्ष प्रदान करती हैं। इनके दर्शन-पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है। माता की 10 भुजाएं हैं और सभी भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र विद्यमान हैं। देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। मान्यता है कि नवरात्र में देवी के पूजा और दर्शन मात्र से शत्रुओं का नाश होता है और देवी सभी तरह की भय और बाधा से मुक्ति दिलाती हैं। मंदिर के पुजारी के मुताबिक काशी के लोगों में मान्यता है कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो भगवती चंद्रघंटा उसके कंठ में विराजमान होती हैं और ध्वनि से उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां चंद्रघंटा अपने घंटियों की आवाज से ही असुरों का नाश कर देती हैं। यही वजह है कि जो भक्त माता के दर्शन करता है उसके सभी कष्ट माता दूर करती हैं। वासंतिक नवरात्र के नव गौरी के क्रम में भक्तों ने बांसफाटक सत्यनारायण मंदिर में स्थित सौभाग्य गौरी का दर्शन-पूजन कर उन्हें नारियल, चुनरी व माला अर्पित किया।
वासंतिक नवरात्र में कल

वासंतिक नवरात्र के पांंचवें दिन रविवार को विशालाक्षी गौरी का दर्शन-पूजन किया जायेगा। देवी के इस स्वरूप का विग्रह मीरघाट क्षेत्र में धर्मकूप इलाके में स्थित है। यहां भगवान विश्वनाथ स्वयं विश्राम करते हैं। इनका दर्शन-पूजन करने से लोगों को सांसारिक दु:खों की निवृत्ति के साथ मन से खिन्न मनुष्यों को विश्रान्ति देती है। वासंतिक नवरात्र के पांचवें दिन शक्ति के उपासक स्कंद माता के स्वरूप में विराजित मां बागेश्वरी देवी का पूजन-अर्चन करेंगे। देवी का मंदिर जैतपुरा में स्थित है।