Ekadashi: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि तक भगवान विष्णु क्षीर सागर में योग निद्रा में लीन रहे। हरि प्रबोधिनी एकादशी [Ekadashi] तिथि से समस्त मांगलिक व शुभ कार्य शुभ मुहुर्त में पुन: प्रारंभ हो जायेंगे। इसके साथ ही बैंड बाजा बारात की धूम शुरू हो जाएगी।
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी 22 नवंबर की रात्रि 11.05 पर लग गई थी जो और अगले दिन 23 नवंबर को रात्रि 9.03 बजे तक रहेगी। इसके अलावा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 22 नवंबर की शाम 6.37 बजे लग गया था जो 23 नवंबर का 5.16 बजे तक रहेगा। प्रसिद्ध ज्योतिषी पं. विमल जैन के मुताबिक, हरिप्रबोधिनी एकादशी का व्रत 23 नवंबर को रखा जाएगा।
देवोत्थान एकादशी [Ekadashi] पर भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागने के बाद मांगलिक कार्यों पर लगा विराम हट जाएगा। 147 दिनों के बाद वैवाहिक मुहूर्त शुरू होने से शहनाई गूंजेगी। 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही विवाह मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। 15 दिसंबर से 15 जनवरी 2024 तक एक महीने खरमास के कारण विवाह वर्जित रहेंगे। मकर संक्रांति के बाद ही शादियां हो सकेंगी।
Ekadashi: वैवाहिक मुहुर्त
जनवरी- 16, 17, 20, 21, 22, 27, 28, 30
फरवरी- 4, 6, 7, 8, 12, 13, 17, 24, 2,
मार्च- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 10, 11, 12
अप्रैल- 18, 19, 20, 21, 22
जुलाई- 9, 11, 12, 13, 14, 15
नवंबर- 12, 13, 16, 17, 18, 22, 23, 25, 26, 28
दिसंबर- 4, 5, 9, 10, 14, 15.