Disability Innovation Summit: लन्दन प्रशासन, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ अर्बन अफेयर्स (एन0आई0यू0ए0), बिल्डिंग एक्सेसिबल, सेफ एंड इंक्लूसिव इंडियन सिटीज (बेसिक), शहरी एवं आवास कार्य मंत्रालय, भारत सरकार तथा ग्लोबल डिसेबिलिटी इनोवेशन हब के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित डिसेबिलिटी इनोवेशन समिट -अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन लंदन में आयोजन किया गया। जहां भारत, मंगोलिया, इंडोनेशिया, केन्या, सिएरा लियोन, कोलम्बिया आदि द्वारा प्रतिभाग कर दिव्यांगजन हेतु सुगम वातावरण हेतु किये गए विभिन्न प्रयासों का व्याख्यान दिया गया। उक्त सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व वाराणसी द्वारा किया तथा विश्व के प्राचीनतम शहर को दिव्यांगों के लिए एक सुरक्षित एवं सुगम्य बनाने हेतु किये गए विभिन्न प्रयासों का व्याख्यान दिया गया।
डॉ. वासुदेवन ने अपने संबोधन में शहर को अधिक समावेशी और सुलभ बनाने में अधिकारियों के सामने आने वाली चुनौतियों (Disability Innovation Summit) पर प्रकाश डाला, खासकर वाराणसी जैसे शहर में जो अपनी सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, जो इसकी पहचान के लिए अंतर्निहित है। डॉ. वासुदेवन ने दर्शकों को बताया कि कैसे वाराणसी ने वाराणसी के विभागों द्वारा स्थानीय समुदायों के साथ परामर्श आयोजित करने, जिसे ‘जन सुनवाई’ या ‘सार्वजनिक सुनवाई’ कहा जाता है, जैसी विभिन्न रणनीतियों को लागू करके इन चुनौतियों पर काबू पाया है। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तावित परियोजनाओं पर आम सहमति बनाएं कि लोग अंततः इन पहलों को प्रगति की दिशा में सकारात्मक कदम के रूप में अपनाएं।

Disability Innovation Summit: वाराणसी को स्मार्ट शहर के रूप में विकसित करने को स्मार्ट सिटी के कई प्रयास
वाराणसी को एक समावेशी और सुलभ शहर के रूप में विकसित (Disability Innovation Summit) करने के लिए, वाराणसी स्मार्ट सिटी द्वारा विभिन्न प्रयास किए गए हैं, जैसे पार्कों का पुनर्विकास, बहु-स्तरीय और बेसमेंट पार्किंग, मछोदरी स्मार्ट स्कूल, रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मलेन केंद्र जैसी सुविधाओं को सुगम्य बनाने के लिए वाराणसी स्मार्ट सिटी द्वारा रैंप, लिफ्ट आदि की सुविधा प्रदान की गयी है। साथ ही घाटों के शहर वाराणसी में वाराणसी का पहला दिव्यांगजनों के अनुकूल नमो घाट बन कर तैयार है ।
विभिन्न देशों और अन्य संस्थानों के गणमान्य व्यक्तियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया और वैश्विक स्तर पर दिव्यांगजनों के अधिकारों की मान्यता की बढ़ती आवश्यकता और जीवन के सभी वर्गों के लोगों के लिए विश्व को और सुगम्य बनाने पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया।