वात दोष असंतुलित होने के लक्षण दिखे तो इसे नजरअंदाज न करें
शरीर में कोई भी समस्या होने पर उसके लक्षण बाहरी रूप से नजर आने लगते हैं।वात दोष “वायु” और “आकाश” इन दो तत्वों से मिलकर बना है। लेकिन कई समस्याएं ऐसी होती है जिसके लक्षण बाहरी रूप से नजर नहीं आते। ऐसे में समस्या को समझना मुश्किल हो सकता है, जैसे की वात दोष की समस्या। शरीर के सभी कार्य वात पित्त के जरिये नियंत्रित होते हैं। वहीं अगर वात दोष असंतुलित हो जाए, तो इससे अत्यधिक गैस बनना, पेट फूलना, बेचैनी होना या नींद न आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस समस्या पर कंट्रोल करने के लिए जरूरी है इसके लक्षणों को समझना।

वात दोष बढ़ जाने के लक्षण
वात बढ़ जाने पर शरीर में तमाम तरह के लक्षण नजर आते हैं। आइये उनमें से कुछ प्रमुख लक्षणों पर एक नजर डालते हैं।
अंगों में रूखापन और जकड़न
सुई के चुभने जैसा दर्द
हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन
हड्डियों का खिसकना और टूटना
अंगों में कमजोरी महसूस होना एवं अंगों में कंपकपी
अंगों का ठंडा और सुन्न होना
कब्ज़
नाख़ून, दांतों और त्वचा का फीका पड़ना
मुंह का स्वाद कडवा होना
वात को संतुलित करने के उपाय
वात को शांत या संतुलित करने के लिए आपको अपने खानपान और जीवनशैली में बदलाव लाने होंगे। आपको उन कारणों को दूर करना होगा जिनकी वजह से वात बढ़ रहा है। वात प्रकृति वाले लोगों को खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि गलत खानपान से तुरंत वात बढ़ जाता है। खानपान में किये गए बदलाव जल्दी असर दिखाते हैं।
वात को संतुलित करने के लिए क्या खाएं
घी, तेल और फैट वाली चीजों का सेवन करें।
गेंहूं, तिल, अदरक, लहसुन और गुड़ से बनी चीजों का सेवन करें।
नमकीन छाछ, मक्खन, ताजा पनीर, उबला हुआ गाय के दूध का सेवन करें।
घी में तले हुए सूखे मेवे खाएं या फिर बादाम,कद्दू के बीज, तिल के बीज, सूरजमुखी के बीजों को पानी में भिगोकर खाएं।
खीरा, गाजर, चुकंदर, पालक, शकरकंद आदि सब्जियों का नियमित सेवन करें।
मूंग दाल, राजमा, सोया दूध का सेवन करें।
Anupama Dubey