- सप्ताह में दो दिन सोमवार-मंगलवार को देखे जाएंगे ENT के मरीज
वाराणसी। बड़ी उम्र के ऐसे मूक-बधिर मरीज जो कभी बोल और सुन सकते थे, लेकिन किसी कारणवश उनकी ये शक्ति बाधित हो गई, उनके लिए खुशखबरी है। बीएचयू के नाक, कान, गला विभाग ने ऐसे मरीजों का ईलाज ढूंढ लिया है, जो कि पूरी तरह सक्सेस है।
बीएचयू (BHU) के सरसुन्दरलाल अस्पताल के ईएनटी (ENT) विभाग में बीते कुछ दिनों में ऐसे कई रोगियों के सफल ऑपरेशन किये गये। उसी क्रम में बुधवार को भी गब्बर कुमार (29) नामक मरीज का भी ऑपरेशन किया गया। बताया जा रहा है कि गब्बर बचपन में सामान्य रूप से सुन और बोल सकते थे। बाद में लीवर की गंभीर बीमारी के चलते वे पूर्णरूप से बहरे हो गये। रोगी के परीक्षण में इसकी पुष्टि भी हुई।
गब्बर की यह समस्या दूर करने के लिए ईएनटी विभाग (ENT) के डॉक्टरों ने उन्हें ऑपरेशन के माध्यम से काकलेयर इम्प्लांट कर समाधान दिया। विभाग (ENT) के सह आचार्य डॉ। विश्वंभर सिंह ने यह ऑपरेशन किया। उनके साथ डॉ. राजेश कुमार, डॉ शिवा एस, डॉ. रामराज यादव, डॉ. अरुणा, डॉ. राहुल, डॉ. जेफरी, डॉ. आकांक्षा, डॉ. सृष्टि, डॉ. राजेश, डॉ।.रजनीश एवं आडियोलॉजिस्ट मुकेश रंजन तथा आनंद की टीम शामिल रही।
ईलाज (ENT) में होने वाला पूरा खर्च मुख्यमंत्री कोटे से हुआ। डॉ. विश्वंभर सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अस्पताल के ईएनटी विभाग में प्रत्येक सप्ताह सोमवार और मंगलवार को ऐसे मरीजों को दिखाया जा सकता है।
बता दें कि वर्तमान में ऐसे मरीजों की लंबी लाइन लगी होती है, जो कि ईएनटी विभाग में अपन ईलाज कराने आए होते हैं। वहीँ कई मरीज ऐसे भी होते हैं, जिनकी दवाइयों दिनों या महीनों से नहीं, बल्कि सालों से चल रही होती है। ऐसे मरीजों को अब लम्बी दवाइयों से निजात मिलेगी।

ENT के मरीजों की प्रमुख समस्याएं
मूक-बधिरता (ENT) के मरीज कई समस्याओं का सामना कर सकते हैं, जो इन्हें दिनचर्या में परेशान कर सकती हैं। यहां कुछ मामूली समस्याएं दी गई हैं जो इस स्थिति के साथ संबंधित हो सकती हैं:
1. संवाद की समस्या (ENT): मूक-बधिर मरीज को संवाद करने में समस्या हो सकती है, जो उनके सामाजिक और पेशेवर जीवन में असुविधा पैदा कर सकती है। यह उनकी व्यक्तिगत और पेशेवर संबंधों को प्रभावित कर सकती है।
2. शिक्षा संबंधी समस्याएं (ENT): मूक-बधिर मरीज के लिए शिक्षा अवसरों में कठिनाईयाँ हो सकती हैं। उन्हें कक्षा में सुनने और समझने में परेशानी हो सकती है जिसके कारण पढ़ाई और अध्ययन में कमी हो सकती है।
3. सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव (ENT): मूक-बधिरता के कारण, मरीज सामाजिक स्थलों पर बातचीत में असुविधा महसूस कर सकते हैं। यह उनकी संबंधों, सामूहिक गतिविधियों और सामुदायिक जीवन में अवरोध बन सकता है।
4. मानसिक समस्याएं: मूक-बधिरता (ENT) अक्सर मानसिक समस्याओं के साथ जुड़ी जैसे दुख, चिंता, स्वार्थ, अकेलापन और आत्महत्या भावना को भी उत्पन्न कर सकती है।
यदि किसी व्यक्ति को मूक-बधिरता (ENT) की समस्या है, तो उन्हें उपयुक्त चिकित्सा सेवाओं की तलाश करनी चाहिए जो उन्हें सहायता और समर्थन प्रदान कर सकती हैं। इसमें श्रवण-विश्लेषण, शिक्षा-संवाद थेरेपी, और परामर्शक द्वारा मानसिक समर्थन शामिल हो सकता है।