- धान की खेती में नयी पहल
- चांदपुर स्थित अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में ‘स्केल डायरेक्ट’ परियोजना का किया शुभारंभ
- नेपाल, बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, मोजांबिक और भारत में सीधी बोवाई की प्रणाली को देंगे बढ़ावा
वाराणसी। भारत समेत एशिया एवं अफ्रीका के कुल छह देशों में धान की खेती करने वाले छोटे किसानों को की आजीविका बेहतर करने के उद्देश्य से डीएसआर कृषि प्रणाली के जरिये धान की सीधी बोवाई को बढ़ावा देंगे। इसके लिए चांदपुर क्षेत्र के कलेक्ट्री फॉर्म स्थित अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान यानि दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्री (इर्री) में एक नया प्रोजेक्ट ‘स्केल डायरेक्ट’ की शुरुआत की गयी। इर्री, यूएस ऐड और बेयर क्रॉप साइंस के संयुक्त प्रयास से इसका आगाज हुआ। यह परियोजना भारत, नेपाल, बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया और मोजांबिक के छोटे किसानों तक पहुंचाएंगे।
आरंभ में इर्री के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हंसराज भारद्वाज ने परियोजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से चिह्नित देशों में धान की सीधी बोवाई को बढ़ावा देने में काफी मदद मिलेगी। एशिया एवं अफ्रीकी देशों में धान की सीधी बोवाई को लेकर अपार संभावनाएं हैं। उचित अनुसंधान के जरिये यह उम्मीदें किसानों के लिए असीमित लाभ के अवसर दे सकती हैं।
वक्ताओं ने कहा कि इस नये प्रोजेक्ट से अब डीएसआर कृषि प्रणाली को एशिया एवं अफ्रीका के छोटे किसानों तक पहुंचाने में सहायता मिलेगी। कार्यक्रम में इर्री के महानिदेशक डॉ. जॉनबेली एवं यूएस ऐड के डॉ. जिम गेफ्नी के संदेश भी प्रसारित किये गये। जिसमें दोनों ने इसे भविष्य की तकनीक बताया। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से खाद्य असुरक्षा, पर्यावरण संतुलन, कार्बन उत्सर्जन जैसे विषम मुद्दों का समाधान संभव होगा। बेयर क्रॉप साइंस के डॉ. पंकज शर्मा एवं डॉ. के. विद्या ने इस पहल समेत परियोजना की सफलता की कामना की।
इस मौके पर सूबे में कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक अरविंद कुमार सिंह, बेयर क्रॉप साइंस के डॉ. के. विद्या सहित भारत, बांग्लादेश, नेपाल एवं अफ्रीकी देशों के राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा प्रणाली (एनएआरईएस) के सदस्यों की उपस्थिति रही। जबकि भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ. पीरी सिंह कृषि आयुक्त, ओडिशा कके कृषि सचिव डॉ. एन. श्रवण कुमार, डॉ. पंजाब सिंह, डॉ. टीआर शर्मा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् में फूड एंड फोडर क्रॉप के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. शरद कुमार प्रधान, डॉ. उधम सिंह गौतम, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके सिंह आॅनलाइन शामिल थे।
नयी प्रणाली में केंद्र देगा योगदान
कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से जुड़े भारत सरकार के संयुक्त सचिव (बीज) पंकज यादव ने कहा कि केंद्र सरकार डीएसआर प्रणाली को प्रोत्साहित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। किसानों तक इस प्रणाली को पहुंचाने में केंद्र अनवरत योगदान देगा। धान की खेती में किसानों की उपज और आय बढ़ाने सहित डीएसआर तकनीक पर्यावरण में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी उपयोगी साबित हो सकती है। यदि किसान इस तकनीक को अपनाकर इसे बढ़ावा दें तो वह अपनी आजीविका को बेहतर बनाने के साथ पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं।
अभियान है महत्वपूर्ण
डीएसआर कृषि प्रणाली अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इर्री) का एक महत्वपूर्ण एवं महत्वाकांक्षी फ्लैगशिप अभियान है। इसके जरिये संस्थान विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से धान की सीधी बोवाई यानि डीएसआर के माध्यम से पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ, खेती की लागत में कमी लाकर किसानों की आय बढ़ाने एवं चावल उत्पादक खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए विश्वस्तर पर परीक्षण आदि की दिशा में निरंतर कार्यरत है। इर्री एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से तैयार 2023-2027 की कार्य परियोजना के तहत भी देश में धान की सीधी बोवाई को बढ़ावा देना एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
चावल उत्पादन में बनेंगे नये कीर्तिमान
इस अवसर पर संबोधित करते हुए इर्री के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने कहा कि बीते कई साल में इर्री के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र में भारत सरकार के सहयोग से हम लगातार अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में नयी उपलब्धियां प्राप्त कर रहे हैं। इस परियोजना के उद्देश्य की पूर्ति के लिए भी इर्री को हमारे सभी भागीदारों से सहयोग अपेक्षित है। डॉ. सिंह ने उम्मीद जतायी कि डीएसआर प्रणाली के माध्यम से चावल उत्पादन के क्षेत्र में नए कीर्तिमान बनेंगे। जिससे किसानों की आजीविका को बेहतर दिशा देने में सफलता प्राप्त होगी।