- जितेंद्र श्रीवास्तव
Festive Offers: नवरात्र के साथ ही त्यौहारी सीजन [Festive Offers] शुरू हो चुका है। धनतरेस और दीपावली का पर्व भी निकट है। ऐसे में तमाम लोग अपने-अपने पसंद की वस्तुएं खरीदने को आतुर रहते हैं। कुछ लोग जहां निवेश की खातिर सोना और प्रॉपर्टी में पैसा लगाते हैं तो कुछ लोग पसंदीदा दोपहिया और चार पहिया वाहन खरीदते हैं। नवरात्र में सैकड़ों चमचमाती गाड़ियां सड़क पर उतर चुकी है और अब धनतेरस के दिन डिलेवरी की खातिर बुकिंग [Festive Offers] शुरू हो चुकी है। बात वाहनों की करे तो सैकड़ों लोग धनतेरस के दिन मनपसंद दो या चार पहिया वाहन अपने घर ले जाना पसंद करते हैं।
पसंदीदा वाहनों की खरीदारी के लिए अधिकांश लोग बैंकों से लोन भी लेते हैं। ऐसे में लोन लेकर वाहन खरीदने के पूर्व बैंकों के ब्याज दर को भी परख लेना चाहिए। जिस बैंक का ब्याज दर सबसे कम हो, उससे ही लोन लेने में भी भलाई हो सकती है।
वाहन बाजार सूत्रों की माने तो ग्राहकों को लोन मुहैया कराने के लिए अधिकांश शोरूम वालों का किसी न किसी बैंक से टाईअप होता है। ऐसे में वाहन खरीदने वालों को उसी बैंक से लोन की बाध्यता दर्शायी जाती है। लेकिन ऐसा नहीं है। ग्राहक चाहे तो अपने बैंक से भी लोन लेकर पसंदीदा दो या चार पहिया खरीद सकता है। बावजूद इसके, ग्राहक को इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि किस बैंक का ब्याज दर सबसे कम है।
ब्याज दर के हिसाब से वह सही लोन का चुनाव कर सकता है। सेवानिवृत्त बैंक अफसर प्रियरंजन श्रीवास्तव का कहना है कि लोन लेने के पहले हर किसी को यह अवश्य देखना चाहिए कि कौन सा बैंक किस रेट ऑफ़ इंटरेस्ट पर लोन दे रहा है।
विभिन्न बैंक अपने ग्राहकों की प्रोफाइल और पुर्नभुगतान क्षमता का मूल्यांकन करने के बाद उन्हें अलग-अलग ब्याज दर [Festive Offers] प्रदान करते हैं। ध्यान रखें कि ब्याज दर में छोटे से अंतर से लंबे समय में आपको अपने पसंदीदा दो या चार पहिया वाहन के लिए बड़ी रकम चुकानी पड़ सकती है। क्योंकि, आपकी महीने की ईएमआई में भी बड़ा अंतर आ सकता है।
उनका कहना है कि अव्वल तो कम अवधि के लिए ही लोन लेना श्रेयस्सर माना जाता है। आमतौर पर चार पहिया वाहनों के लिए अधिकतम आठ साल के लिए लोन लिया जा सकता है। लेकिन ज्यादा समय के लिए लोन लेने पर आपको ज्यादा ब्याज पर लोन [Festive Offers] दिया जाता है। ये ब्याज दर कम समय (तीन से चार साल) वाले लोन की ब्याज दर से 0.50 प्रतिशत तक ज्यादा हो सकती है। लंबे समय का लोन वाहन की कीमत औसतन 25 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।
उनका यह भी कहना है कि लोन लेते समय आपको यह जांचना चाहिए कि आप जिस बैंक से लोन ले रहे हैं, क्या वह प्री-क्लोजर पेनाल्टी लेता है। प्री क्लोजिंग का मतलब है कि टेन्योर से पहले ही लोन राशि का पेमेंट करना। पेनाल्टी रेट सभी बैंकों के लिए एक जैसे नहीं होते हैं। इसलिए सोच-समझकर ही बैंक का चयन करना चाहिए। उन बैंकों पर विचार करना चाहिए जो या तो पेनाल्टी नहीं लेते हैं या बहुत कम राशि वसूलते हैं।
Festive Offers: प्रोसेसिंग फीस भी चेक करना चाहिए
पूर्व बैंक अफसर प्रियरंजन श्रीवास्तव का कहना है कि लगभग हर बैंक वाहन लोन के आवेदन को प्रोसेस करने के लिए एक निश्चित राशि लेता है। कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि, जहां कुछ बैंक और एजेंसियां कम ब्याज दरों पर वाहन लोन देते हैं, लेकिन लोन देते समय वे काफी ज्यादा प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं। इसलिए लोन लेन से पहले बैंक से पता करना चाहिए कि वो लोन प्रोसेस करने के लिए कितनी प्रोसेसिंग फीस लेगा।
Highlights
उठाना चाहिए ऑफर्स [Festive Offers] का फायदा
वाहन बाजार सूत्रों की मानें, तो ज्यादातर बैंक त्योहारी सीजन [Festive Offers] या साल की एक निश्चित अवधि के दौरान कार लोन पर स्पेशल ऑफ़र देते हैं। ऐसे ऑफ़र्स का फायदा उठाना चाहिए। इन ऑफ़र्स में प्रोसेसिंग शुल्क और प्री-क्लोजर पेनाल्टी पर छूट, वाहन पर 100 प्रतिशत फंडिंग, कम या शून्य प्रतिशत ब्याज दर, स्पेशल गिफ्ट वाउचर आदि शामिल हैं। जिन लोगों की क्रेडिट प्रोफाइल अच्छी है, उन्हें बेस्ट डील मिल सकती है।
लोन लेने के लिए जरूरी दस्तावेज
वाहन बाजार सूत्रों की मानें तो आय का नियमित सोर्स होना चाहिए। क्रेडिट स्कोर भी अच्छा होना चाहिए। कम क्रेडिट स्कोर होने पर लोन अप्रूव होने की संभावना घट जाती है। दस्तावेज में पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट जैसे आइडेंटिटी प्रूफ होना चाहिए। एड्रेस प्रूफ के लिए आधार कार्ड, पासपोर्ट, यूटिलिटी बिल या किराये के एग्रीमेंट जैसे अभिलेख अवश्य होने चाहिए। एम्प्लॉयमेंट प्रूफ और बैंक स्टेटमेंट भी देना होगा।