चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) की आज यानि रविवार से शुरुआत हो चुकी है। काशी में चैत्र नवरात्रि का भी अपना एक अलग और विशेष महत्व देखने को मिलता है। इसी के साथ ही महादेव की नगरी में मां की आराधना के पर्व का सूर्य की पहली किरण के साथ आज आगाज हो गया। श्रद्धालु इस दिन मुख निर्मालिका गौरी के दर्शन और पूजन कर शुभता की कामना करते हैं। वहीं शक्ति की पूजा-अर्चना करने वाले प्रथम दिन माता शैलपुत्री के दर्शन करते हैं। मां मुख निर्मालिका गौरी का मंदिर गायघाट स्थित हनुमान मंदिर के पास स्थित है। वहीं माता शैलपुत्री का मंदिर अलईपुर में स्थापित है।


गौरी में मुख निर्मालिका गौरी के दर्शन का विधान
बात अगर मुख निर्मालिका गौरी के दर्शन-पूजन की करें तो इनके दर्शन के लिए भक्त भोर से माता रानी के दरबार में कतारबद्ध हो गए। प्राचीन मान्यता के अनुसार वासंतिक नवरात्र (Chaitra Navratri) में नौ गौरियों का पूजन होता है तो देवी भक्तों का रेला मुख निर्मालिका गौरी के मंदिर में लगा। भक्त माता को नारियल, चुनरी, भोग, प्रसाद, और सिंगार का सामान अर्पित करके शीश नवाते रहे।

शक्ति के उपासक Chaitra Navratri के प्रथम दिन करते हैं मां शैलपुत्री के दर्शन
वहीं शक्ति के उपासक प्रथम दिन (Chaitra Navratri) मां शैलपुत्री के दर्शन-पूजन को भी उमड़े। मां शैलपुत्री को समर्पित मां शैलपुत्री मंदिर में नवरात्र के पहले दिन भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगी। मां शैलपुत्री के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। भक्त मां शैलपुत्री को लाल फूल और चुनरी अर्पित करते हैं और अपनी मनचाही मनोकामना को पूरी करने लिए प्रार्थना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्र के दौरान इस मंदिर में दर्शन और यज्ञ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।



इसके साथ ही भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए काशी के सभी देवी मंदिरों (Chaitra Navratri) में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। शहर के प्रमुख मंदिरों के बाहर बैरिकेडिंग की गई हैं। मंदिर व्यवस्थापक के साथ पुलिसकर्मी भी श्रद्धालुओं को सहजता से माता के दर्शन कर रहे हैं। पुरे काशी का माहौल ऐसे में आध्यात्मिक वातावरण और अधिक पवित्र हो जाता है।
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