वाराणसी। 1996 के गैंगस्टर एक्ट मामले में जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को गाजीपुर की अदालत ने 10 साल कैद की सजा सुनाई है। इसके दो दिन बाद महानगर कांग्रेस की एक टीम ने शनिवार को वाराणसी में पुलिस अधिकारियों से मुलाकात कर यूपी के पूर्व मंत्री अजय राय के लिए सुरक्षा की मांग की। इस केस में पूर्व मंत्री अजय राय की गवाही का बहुत महत्व रहा। अजय राय की मजबूत पैरवी और गवाही से मुख़्तार को सजा संभव हो सकी।
भदोही में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष राय ने मीडिया को बताया, “मुख्तार की सजा संभव इसलिए हुई क्योंकि मैं गैंगस्टर एक्ट मामले के तहत पांच मामलों में से एक में गवाह के रूप में मुख़्तार के खिलाफ दृढ़ता से खड़ा था। अवधेश राय हत्याकांड को छोड़कर अन्य चार मामलों में मुख्तार को बरी कर दिया गया था।
पहले दी गई सुरक्षा वापस ले ली गई
अजय राय ने आगे कहा, “मैं और अन्य सभी गवाहों को गवाह के रूप में पेश किया गया था और सरकार की तरफ से तर्क भी पूरा हो चुका है। सुनवाई की अगली तारीख 7 जनवरी है। मुख्तार के खिलाफ मुख्य गवाह होने के कारण अतीत में मुझे दी गई सुरक्षा जिला प्रशासन द्वारा वापस ले ली गई थी। अब मैं जिला प्रशासन से सुरक्षा की मांग करता हूँ। जो कि नियमानुसार पूर्व विधायकों के दैनिक वेतन के 10% भुगतान पर प्रदान किया जाता है।
हत्या केस में दिल्ली की अदालत ने मुख़्तार को किया था बरी
सुरक्षा की मांग करते हुए राय ने कहा कि मुख्तार की कुख्याति किसी से छिपी नहीं है क्योंकि गैंगस्टर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और छह अन्य की सनसनीखेज हत्या में दिल्ली की एक अदालत से बरी होने में कामयाब रहा। जबकि विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष नंद किशोर रूंगटा अपहरण कांड मामले में उसे कोई सजा नहीं दी जा सकी।
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सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर शहर इकाई प्रमुख राघवेंद्र चौबे के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार सुबह वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने दावा किया कि अजय राय के लिए जान का खतरा बढ़ गया है क्योंकि वह अवधेश राय हत्याकाण्ड मामले में मुख्य गवाह हैं।
ये हैं पांच मामले
15 दिसंबर को, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) गाजीपुर दुर्गेश पांडे की अदालत ने अंसारी को 10 साल के सश्रम कारावास (आरआई) की सजा सुनाई थी और 1996 में अंसारी और उनके करीबी सहयोगी भीम सिंह पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। मुख़्तार और उसके साथी भीम पर गैंगस्टर एक्ट समेत पांच अपराधिक मामले दर्ज किये गये थे। इन पांच मामलों में वाराणसी में कैंट थाने में राजेंद्र सिंह हत्याकांड, 1988 में कोतवाली गाजीपुर में वशिष्ठ तिवारी उर्फ माला गुरु हत्याकांड, वाराणसी के चेतगंज में अवधेश राय हत्याकांड, 1991 में चंदौली के मुगलसराय में कांस्टेबल रघुवंश सिंह हत्याकांड व 1996 में कोतवाली गाजीपुर में अपर पुलिस अधीक्षक व अन्य पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला शामिल है।