अयोध्या में राम मंदिर {Ayodhya Ram Mandir} के निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमति दिए जाने के करीब 4 साल बाद इस परियोजना का प्रथम चरण लगभग-लगभग पूर्ण हो गया है। भगवान श्री राम के जन्मभूमि का मंदिर निर्माण प्रसिद्ध वास्तुकार चंद्रकांत भाई सोमपुरा की देखरेख व दिशा-निर्देश में उनकी एक टीम द्वारा बनाया गया है।
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प्राचीनतम शैली में से एक नागर शैली के ढंग में तैयार किया गया यह मंदिर मुख्य रूप से राजस्थान के मिर्ज़ापुर और बंसी-पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर के साथ-साथ नक्काशीदार संगमरमर से बनाया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं, इसमें करीब 17,000 ग्रेनाइट पत्थरों का उपयोग किया गया है और चौंका देने वाली यह है कि राम मंदिर {Ayodhya Ram Mandir} के निर्माण में लगाये गये ग्रेनाइट पत्थरों में प्रत्येक का वजन 2 टन है। अ[को बता दें कि श्रे रामलला के मंदिर को बनाने में किसी भी प्रकार के स्टील और साधारण सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है।
12 मीटर गहरी नींव में कुल 47 परतें
वहीं राम मंदिर {Ayodhya Ram Mandir} के ट्रस्टी के द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि मंदिर को कम से कम एक हजार साल तक राम मंदिर को मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ेगी और मरम्मत के साथ-साथ यदि कोई प्रकृति प्रकोप जैसे कि 6.5 तीव्रता का भूकंप भी आ जाये तो भी वह श्री राम मंदिर के नींव को हिला नहीं पाएगा।
बताया जा रहा है कि राम जन्मभूमि के लिए निर्मित किये गये इस मंदिर की नींव 12 मीटर गहरी है और नींव में कुल 47 परतें बिछाई गईं हैं। मिली जानकारी के अनुसार, मंदिर की जो नींव है उसे पुनः भरने के लिए जिस मिट्टी का इस्तमाल किया गया है, वह मिट्टी 28 दिनों में पत्थर में बदल सकती है।

अब तक 21 लाख क्यूबिक फीट ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर व संगमरमर का उपयोग
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण {Ayodhya Ram Mandir} के बारे में बताते हुए कहा कि, प्रभु श्री राम जन्मभूमि के मंदिर को निर्मित करने में अब तक 21 लाख क्यूबिक फीट ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया जा चुका है। बेहद आकर्षित कर देने वाली बात यह है कि 1992 के ‘शिलादान’ के दौरान और उसके बाद जिन सभी ईंटों का दान किया गया उनका उपयोग मंदिर के नवनिर्माण में किया गया है।
दुसरे चरण का कार्य दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव और निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने पहले चरण यानि कि मंदिर {Ayodhya Ram Mandir} के गर्भगृह के निर्माण कार्य को पूर्ण करने के लिए 15 दिसंबर की समय सीमा तय की थी और दूसरे चरण जिसमें कि पहली और दूसरी मंजिल बनायी जनि है और इस दुसरे चरण में सभी भित्ति चित्र व प्रतिमा विज्ञान का काम, निचली कुर्सी संग 360 विशाल स्तंभों पर नक्काशी शामिल होगी। ऐसा कहा जा रहा है दुसरे चरण का कार्य दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।

प्रथम तल पर बनाया जाएगा राम दरबार
पहली मंजिल पर राम दरबार होगा और हर स्तंभ पर 25-30 आकृतियां खुदी होंगी। अगले वर्ष परकोटा (बाहरी दीवार) के बाहर महर्षि वाल्मिकी, निषाद, विश्वामित्र, शबरी सहित सात मंदिर भी बनाए जाएंगे। तीसरे चरण में 71 एकड़ की साइट जिसमें सभागार और परकोटा जिसमें कांस्य भित्ति चित्र और सप्तऋषियों के मंदिर आदि शामिल हैं। जिसका काम दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा।
पीएम की मौजूदगी में Ayodhya Ram Mandir में स्थापित होगी श्री राम की मूर्ति
आगामी 22 जनवरी को श्री रामलला {Ayodhya Ram Mandir} के प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन में सबसे पहले मंदिर ट्रस्ट प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में गर्भगृह में स्थापना के लिए राम लला (5 वर्षीय देवता) की तीन मूर्तियों में से एक मूर्ति का चयन करेगें। मिली जानकारी के अनुसार ये तीनों मूर्तियां 51 इंच ऊंची होंगी और उनके हाथ में धनुष-बाण होगा।

इस संस्थान में किया गया मूर्तियों के पत्थरों का परीक्षण
अयोध्या {Ayodhya Ram Mandir} लाने से पूर्व इन मूर्तियों के पत्थरों का परीक्षण सरकार के राष्ट्रीय रॉक यांत्रिकी संस्थान में किया गया है। इनमें से एक पत्थर- एक सफेद मकराना संगमरमर और कर्नाटक का एक भूरे रंग का पत्थर शामिल हैं। जिसे लोकप्रिय रूप से कृष्ण शिला के नाम से जाना जाता है। वहीं आम जनता 27 जनवरी की सुबह के बाद भगवान के दर्शन कर सकेगी।