गाजियाबाद (Gaziabad) रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर शुक्रवार को उस समय हंगामा मच गया जब हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने एक चित्र को लेकर आपत्ति जताई। कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि दीवार पर बना चित्र मुगल शासक औरंगज़ेब का है, जबकि रेलवे प्रशासन के अनुसार वह चित्र आखिरी मुगल बादशाह और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बहादुर शाह ज़फर का है।
करीब 18 से 20 की संख्या में पहुंचे हिंदू रक्षा दल के सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए उस चित्र पर कालिख पोत दी और रेलवे प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि जानबूझकर एक ‘क्रूर शासक’ औरंगज़ेब का चित्र स्टेशन परिसर में बनवाया गया है, जो देश के असली नायकों का अपमान है।
रेलवे द्वारा प्लेटफार्म की दीवारों पर देश के महापुरुषों, क्रांतिकारियों और ऐतिहासिक हस्तियों के चित्र सजाए गए हैं ताकि यात्री प्रेरणा ले सकें और इतिहास के प्रति जागरूक हो सकें। लेकिन शुक्रवार को इस प्रयास को उस समय धक्का लगा जब यह विरोध प्रदर्शन विवाद में तब्दील हो गया।
चौंकाने वाली बात यह रही कि आधे घंटे से अधिक चले इस हंगामे के दौरान न तो रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और न ही Government Railway Police (GRP) मौके पर पहुंची, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल और बढ़ गया।
हालांकि घटना के बाद रेलवे सुरक्षा बल हरकत में आई और आरपीएफ थाने में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। आरपीएफ निरीक्षक चेतन प्रकाश ने बताया कि कालिख पोतने वाले लोगों की पहचान की जा रही है और जीआरपी के साथ मिलकर उनके संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है।
Gaziabad: 1857 की क्रांति में बहादुर शाह ज़फर ने निभाई थी अहम भूमिका
रेलवे प्रशासन का कहना है कि प्लेटफॉर्म की दीवार पर बना चित्र वास्तव में बहादुर शाह ज़फर का है, जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ अंतिम मुगल सम्राट के रूप में नेतृत्व किया था। उन्हें देश के पहले स्वतंत्रता सेनानियों में गिना जाता है। प्रशासन ने अफवाह फैलाने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।