Gyanvapi ASI Survey: हिन्दू पक्ष हमेशा से मुगल शासक औरंगजेब के फरमान पर वर्ष 1669 में आदिविश्वेश्वर का प्राचीन मंदिर ध्वस्त कर उसके ऊपर मस्जिद बनाने का दावा करता रहा है। इस आशय का तर्क जिला जज की अदालत में भी दिया गया है। हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया कि वर्ष 1670 से ही विवाद चल रहा है। 353 वर्ष हो गए हैं। अब एएसआई सर्वे से ही सच सामने आएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे (Gyanvapi ASI Survey) को 2 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वाराणसी जिला जज के ASI जांच के आदेश (Gyanvapi ASI Survey) के खिलाफ सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया। CJI चंद्रचूड ने कहा कि अभी हमारा विचार है कि कुछ सांस लेने का समय दिया जाना चाहिए। विवादित आदेश 26 जुलाई शाम 5 बजे तक लागू नहीं किया जाएगा। इस बीच यदि याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का रुख किया, तो उच्च न्यायालय के आरजी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यथास्थिति आदेश समाप्त होने से पहले इसे उचित पीठ के समक्ष रखा जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण (Gyanvapi ASI Survey) के लिए वाराणसी जिला न्यायालय के निर्देश को 26 जुलाई शाम 5 बजे तक लागू नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस बीच मस्जिद समिति को जिला न्यायालय के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट से संपर्क करने की अनुमति देने का आदेश पारित किया। अब इस मामले में 26 जुलाई के बाद ही ASI जांच के आदेश आने की संभावना है।
वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी में मस्जिद ही थी। मंदिर ध्वस्त करके उसके ऊपर नहीं बनाई गई है। बहरहाल, वैज्ञानिक जांच (Gyanvapi ASI Survey) से ज्ञानवापी का सच सामने आ जाएगा। जो भी भ्रांतियां हैं, वह भी दूर हो जाएंगी। दरअसल, जिला जज डॉ० अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने राखी सिंह बनाम व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य के मुकदमे की सुनवाई के क्रम में 21 जुलाई को सील बजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi ASI Survey) के सर्वे का आदेश दिया था।
11 बिंदुओं के आदेश में अदालत ने एएसआई के निदेशक से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि विवादित भूमि पर खड़ी मौजूदा संरचना को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। वह जस की तस बरकरार रहे। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में ASI ने दावा किया है कि परिसर में एक सप्ताह तक कोई भी खुदाई नहीं होगी। वहीं SC ने भी इस मामले में पहले एक सप्ताह तक खुदाई न करने का आदेश दिया था। इसके बाद दोपहर 12 बजे तक सर्वे को ही दो दिनों तक रोकने का आदेश दे दिया।
Gyanvapi ASI Survey: जिला जज की अदालत ने दिया था ये आदेश
तहखाने भी खुलेंगे
एएसआई के निदेशक मस्जिद के तीन गुंबदों के ठीक नीचे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से सर्वेक्षण करें और यदि आवश्यक हो तो खोदाई करें। इमारत के पश्चिमी दीवार के नीचे सर्वे करें और खोदाई करें। सभी तहखानों की जमीन के नीचे सर्वे करें और यदि आवश्यक हो तो खोदाई करें।
पश्चिमी दीवार की उम्र और प्रकृति का भी होगा सर्वे
एएसआई के निदेशक आराजी नंबर- 9130 पर (सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील वजूखाने को छोड़कर) वैज्ञानिक जांच / सर्वेक्षण/ खुदाई करें। विस्तृत वैज्ञानिक जांच के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण, उत्खनन, डेटिंग पद्धति और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि क्या मौजूदा संरचना का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया है। मस्जिद की पश्चिमी दीवार की उम्र और प्रकृति का सर्वे भी होगा।

कलाकृतियों की सूची बनेगी
अदालत के आदेश के मुताबिक इमारत में पाई जाने वाली सभी कलाकृतियों की एक सूची तैयार की जाएगी। उन कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का पता लगाई जाएगी। इमारत की आयु, निर्माण की प्रकृति का भी पता लगाया जाएगा। जीपीआर सर्वेक्षण के साथ ही जहां भी आवश्यक होगा, वहां उत्खनन किया जाएगा।
इमारत के निर्माण व आयु का भी निर्धारण
ज्ञानवापी के मौजूदा निर्माण की प्रकृति और आयु का निर्धारण होगा। इसके लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएंगे। इमारत के विभिन्न हिस्सों और संरचना के नीचे मौजूद ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की कलाकृतियों और अन्य वस्तुओं का भी सर्वे होगा।
तीसरे तहखाने का राज भी खुलेगा
ज्ञानवापी में तीन तहखानों (Gyanvapi ASI Survey) के होने का दावा किया जाता है। हालांकि व्यास परिवार के लोग दो ही तहखाने बताते हैं। एएसआई के सर्वे में तहखानों का भी राज खुलेगा कि वह कब बनाए गए और उनके अंदर क्या है? पिछले साल अधिवक्ता आयुक्त के सर्वे के दौरान व्यास परिवार के शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने कहा था कि ज्ञानवापी में दो तहखाने ही हैं। तीसरा तहखाना कहा जाता है, वह मां शृंगार गौरी मंदिर के पिछले हिस्से में इमारत के पश्चिमी भाग से थोड़ी दूर पर एक गेट है। वह गैलरीनुमा हिस्से में खुलकर सीढ़ी से ऊपर जाता है।

पिछले वर्ष 16 मई को सील किया गया था वजूखाना
सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत के आदेश (Gyanvapi ASI Survey) से ज्ञानवापी में अधिवक्ता आयुक्तों ने बीते साल छह, सात, 14, 15 और 16 मई को सर्वे किया था। 16 मई 2022 को सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी स्थित वजूखाना में शिवलिंग मिलने का दावा किया। वहीं, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का दावा था कि वह पुराना फव्वारा है। हिंदू पक्ष के आवेदन पर 16 मई को ही सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने वजूखाना को सील करने का आदेश दिया।

Highlights
अयोध्या में एएसआई सर्वे की रिपोर्ट बनी थी आधार
बता दें कि अयोध्या राम मंदिर मामला भी ASI जांच के आधार (Gyanvapi ASI Survey) पर ही सुलझा था। अयोध्या विवाद के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। एएसआई सर्वे की रिपोर्ट को अहम मानते हुए फैसला सुनाया था। हालांकि, ज्ञानवापी के अंदर शिवलिंग जैसी आकृति और वजूखाने का सर्वे नहीं हो सकेगा। वह मामला फ़िलहाल सुप्रीमकोर्ट में लंबित है। शिवलिंग का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।