Gyanvapi ASI Survey Order: ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे की जांच के लिए कोर्ट ने अपनी मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा कि विवादित हिस्से को छोड़कर बाकी कैंपस को बिना नुकसान पहुंचाए इसकी साइंटिफिक सर्वे कराया जाय। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए वाराणसी कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद से सभी हिंदुओं में खुशी की लहर दौड़ उठी। वहीं हर हर महादेव के नारे लगाए जाने लगे और सभी लोगों ने एक दूसरे को गले लगाते हुए अपनी खुशी जाहिर की।
हिन्दू पक्ष के याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने कहा कि आज की सुनवाई में अदालत ने हमारे हक में फैसला (Gyanvapi ASI Survey Order) सुनाया है, अब पूरे सम्पूर्ण परिसर की ASI जांच होगी और सच पूरी तरह से सबके सामने होगा। जांच में सब साफ होगा और अदिविश्वेशर की भी अब पुष्टि पूर्ण रूप से हो जाएगी। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि ज्ञानवापी हुई हमारी है अब मथुरा की बारी है।
Gyanvapi ASI Survey Order: 4 अगस्त को कोर्ट में पेश होगा रिपोर्ट
वहीं अधिवक्ता सुधीर कुमार त्रिपाठी ने अपनी खुशी जाहिर करते कहा कि कोर्ट ने सर्वे के लिए मंजूरी दे दी है। 4 अगस्त को कोर्ट में ASI रिपोर्ट देगी कि किस प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से यह सर्वे किया जाएगा।
हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमने कोर्ट से पूरे परिसर के ASI सर्वे की मांग की थी। जिसके बाद कोर्ट ने उस पर सहमति (Gyanvapi ASI Survey Order) दे दी। अब ASI सर्वे ही इस मामले की दिशा तय करेगा। कोर्ट ने परिसर में मिले शिवलिंग की जांच का आदेश नहीं दिया है। उसका मामला सुप्रीमकोर्ट में विचाराधीन है। अब इसकी सुनवाई 29 अगस्त को होनी है।
बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने इस ASI सर्वे पर रोक लगाने की याचिका दाखिल की थी। 14 जुलाई को करीब डेढ़ घंटे तक हुई बहस के बाद जिला जज डॉ० अजय कृष्ण विश्वेश ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब शुकवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने ASI सर्वे (Gyanvapi ASI Survey Order) की इजाजत दे दी है।
ज्ञानवापी में मई 2023 में मिले कथित शिवलिंग के वैज्ञानिक जांच और कार्बन डेंटिंग के हाईकोर्ट के आदेश (Gyanvapi ASI Survey Order) पर सुप्रीमकोर्ट ने रोक लगा दी है। उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगते हुए कहा था कि इस मामले में अभी संभलकर चलने की ज़रूरत है। हाईकोर्ट के आदेश की बारीकी से जांच करनी होगी।
बता दें कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीमकोर्ट में गुहार (Gyanvapi ASI Survey Order) लगाई थी। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से वकील हुजेफा अहमदी ने याचिका दायर की थी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इसकी सुनवाई की। हिंदू पक्ष सुप्रीमकोर्ट में पहले ही कैविएट दाखिल कर चुका है। इस दौरान केंद्र सरकार के वकील अमित श्रीवास्तव भी उपस्थित हुए थे।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान मसाजिद कमेटी की ओर से वकील मुमताज अहमद, रईस अहमद और एखलाक अहमद ने दलीलें पेश कीं। हिंदू पक्ष की तरफ से वकील सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, अनुपम द्विवेदी, प्रदेश सरकार की ओर से राजेश मिश्र और केंद्र सरकार की तरफ से अमित श्रीवास्तव मौजूद रहे।
हिंदू पक्ष ने किए हैं 5 बड़े दावे
मुकदमा सिर्फ मां श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए दाखिल किया गया है। दर्शन-पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए।
मां श्रृंगार गौरी का मंदिर विवादित ज्ञानवापी परिसर के पीछे है। वहां अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई गई है।
वक्फ बोर्ड ये तय नहीं करेगा कि महादेव की पूजा कहां होगी। देश की आजादी के दिन से लेकर वर्ष 1993 तक मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में आराजी नंबर-9130 देवता की जगह मानी गई है। सिविल प्रक्रिया संहिता में संपत्ति का मालिकाना हक खसरा या चौहद्दी से होता है।
ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में कथित शिवलिंग मिला है।