Gyanvapi Shringar Gauri Update: ज्ञानवापी मामले के श्रृंगार गौरी मंदिर के मुकदमे को लेकर दो धड़ों में बंटे हिन्दू पक्ष में फिर से रार सामने आ गई है। हिंदू पक्ष का एक धड़ा कोर्ट के बाहर मसला सुलझाने को दुसरे पक्ष को पत्र लिख रहा है, वहीं दुसरे धड़े ने इस प्रकार मामला सुलझाने से साफ़ इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि हम किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे।
ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी (Gyanvapi Shringar Gauri) का मुकदमा सितम्बर 2021 में जिला अदालत में राखी सिंह, सीता साहू, मंजू पाठक, रेखा व्यास और लक्ष्मी देवी ने दाखिल किया था। मई 2022 में अधिवक्ता आयुक्त के सर्वे के दौरान वादिनी महिलाओं और उनके पैरोकारों के बीच अनबन हो गई थी। जिसके बाद राखी सिंह का एक धड़ा अलग हो गया था। वहीं दूसरा धड़ा सीता साहू, मंजू पाठक, रेखा व्यास और लक्ष्मी देवी का अलग हो गया। तब से अब तक दोनों धड़ों में सुलह नहीं हो पाई।
बीते 14 अगस्त को राखी सिंह के पैरोकार व विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने अंजुमन इंतेजामिया कमेटी को एक पत्र जारी किया था। जिसमें उन्होंने अपने देश और समाज की रक्षा व सुरक्षा का कर्तव्य का निर्वहन करते हुए इस विवाद (Gyanvapi Shringar Gauri) का पूर्ण तरीके से निस्तारण आपसी बातचीत के माध्यम से करने की बात कही थी। उन्होंने पत्र में कहा था कि बातचीत के माध्यम से इस समस्या का हल निकालकर समाज में एक मिसाल कायम की जा सकती है।

वहीँ इस मामले को लेकर चार वादिनी महिलाओं ले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Shringar Gauri)में कोई भी समझौता कानूनन संभव नहीं है। बातचीत के प्रस्ताव पर क़ानून की कोई अहमियत नहीं है। सीपीसी में साफ कहा गया है कि जब तक सभी पक्ष राजी नहीं होते हैं, तब तक कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि देश और समाज से जुड़े मामलों में जहां पूरे समाज को शामिल करते हुए प्रतिनिधि वाद दायर किया जाता है, वहां पर कोई व्यक्ति या पक्ष अकेले समझौता करना भी चाहे तो भी नहीं कर सकता है। इसलिए सीपीसी के तहत अदालत से बाहर समझौते की कोई भी पहल संभव नहीं है, क्योंकि यह कानूनी रूप से संभव नहीं है।
Gyanvapi Shringar Gauri: एक इंच भी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हिंदू
विष्णु शंकर जैन ने आगे कहा कि हमारा कोई भी पक्ष या क्लाइंट अदालत के बाहर समझौते (Gyanvapi Shringar Gauri) के लिए तैयार नहीं है। वे इस तरह के किसी समझौते के लिए इच्छुक नहीं है क्योंकि ऐसा करने के लिए पक्ष को अपने कुछ अधिकार छोड़ने होंगे और वे एक इंच भी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने पूछा कि आखिर यह समझौता होगा कैसे? समझौता तभी होता है जब आप अपने कुछ अधिकार छोड़ देते हैं और दूसरा व्यक्ति अपने कुछ। यहां हम बैरिकेड के अंदर की एक इंच जमीन भी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। हम चाहते हैं कि पूरा क्षेत्र बैरिकेड के अंदर हो।
मुस्लिम पक्ष मांगे माफ़ी
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने एक मंदिर को मस्जिद के रूप में इस्तेमाल किया है, उसके लिए मुस्लिम पक्ष को माफी मांगनी चाहिए। इसलिए समझौते का कोई सवाल ही नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद के वुजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का चार अगस्त से वैज्ञानिक सर्वे शुरू है। एएसआई को यह जांचना है कि क्या मस्जिद का निर्माण पूर्व में किए गए हिंदू मंदिर के ऊपर किया गया है।