Gyanvapi Survey Report: ज्ञानवापी मामले में कोर्ट ने ASI को 10 दिनों की मोहलत दी है। कोर्ट से ASI ने रिपोर्ट पेश करने के लिए तीन सप्ताह और समय की मांग की थी। कोर्ट ने इस पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए सख्ती दिखाई और पुरातात्विक सर्वेक्षण की टीम को दस दिनों की और मोहलत दी है।
वाराणसी जिला जज डॉ० अजय कृष्ण विश्वेश ने ASI टीम के अतिरिक्त समय की याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 दिसम्बर तक किसी भी हाल में सर्वे रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि कोर्ट ने ASI को तीसरी बार अतिरिक्त समय दिया है। ASI की ओर से कोर्ट में पहले ही 2 नवम्बर तक सर्वे पूरा होने की बात बताई गई थी। कोर्ट में बताया गया कि ज्ञानवापी का सर्वे पूरा हो चुका है। जीपीआर तकनीक से हुए सर्वे का रिपोर्ट तैयार करने में समय लग रहा है।
Gyanvapi Survey Report: 21 जुलाई को कोर्ट ने दिया सर्वे का आदेश
बता दें कि डॉ० अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बीते 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। ASI की टीम ने 24 जुलाई से सर्वे का काम शुरू किया। इसी दौरान अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे के आदेश पर रोक लगाई और मसाजिद कमेटी को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का आदेश दिया।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनते हुए 4 अगस्त को जिला जज के आदेश [Gyanvapi Survey] को सही ठहराया। ASI की टीम ने 4 अगस्त से लगातार सर्वे [Gyanvapi Survey Report] का काम शुरू किया। जो अक्टूबर अंत तक चला। अदालत ने रिपोर्ट पेश करने के लिए दो बार समय सीमा बढ़ाई थी। जिसकी समय सीमा 27 नवंबर को पूरी हो गई।
सर्वे [Gyanvapi Survey] का मामला लंबे समय तक विवादों में फंसा रहा। जिला जज की अदालत के आदेश को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट और फिर हाई कोर्ट में चुनौती दी। सर्वे शुरू हुआ तो अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के पदाधिकारी से थोड़ी अनबन हो गई। कमेटी के पदाधिकारियों ने हिंदू पक्ष और ASI पर मनमानी का आरोप लगाया और दो दिनों के लिए सर्वे रोक दिया। बाद में जिला जज की अदालत ने सर्वे को आगे बढ़ाने का आदेश दिया। तब जाकर मामला सुलझ सका। अब रिपोर्ट दाखिल होने और मामले में सुनवाई होने का इंतजार है।