Gyanvapi Survey: ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी प्रकरण में सर्वे सबंधित अवधि बढ़ाने के मामले में सोमवार को जिला जज डॉ० अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। उधर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से एएसआई द्धारा सर्वे बढ़ाने की अर्जी पर आपत्ति दाखिल किया । जिसपर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए आठ सितंबर की तिथि नियत की गई है।
गौरतलब है कि जिला जज के आदेश पर चार अगस्त से वजूखाना को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में एएसआई द्वारा वैज्ञानिक सर्वेक्षण (Gyanvapi Survey) चल रहा है। अदालत में दो सितम्बर को सर्वे की रिपोर्ट सौंपनी थी। एडीजे प्रथम की अदालत में सुनवाई के दौरान एएसआई ने अधिवक्ता के जरिए बताया कि 21 जुलाई को जिला जज की अदालत ने चार अगस्त तक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। एएसआई ने 24 जुलाई को सर्वे शुरू कर दिया, लेकिन पांच घंटे तक सर्वेक्षण के दौरान प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक के लिए सर्वेक्षण पर रोक लगा दी।
Gyanvapi Survey: ASI ने कोर्ट से चार सप्ताह के समय का किया था आग्रह
उच्चतम न्यायालय ने कमेटी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा। कमेटी ने 25 जुलाई को हाईकोर्ट का शरण लिया तो न्यायालय ने सर्वेक्षण (Gyanvapi Survey) पर रोक लगा दी। सुनवाई के बाद तीन अगस्त को फैसले में सर्वे जारी रखने का आदेश दिया। कमेटी ने उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में फिर चुनौती दी। मगर शीर्ष अदालत से राहत नहीं मिली। चूंकि निचली अदालत के आदेश पर चार अगस्त तक सर्वेक्षण रिपोर्ट देने थी। इसलिए एएसआई ने कोर्ट से चार सप्ताह का समय देने का आग्रह किया। अदालत ने दो सितम्बर तक सर्वे की मोहलत दी थी।
एएसआई की ओर से कहा गया कि पांच अगस्त से टीम लगातार प्रतिदिन चार से छह घंटे तक सर्वेक्षण (Gyanvapi Survey) कर रही है। एएसआई सर्वे में कानपुर व अहमदाबाद आईआईटी के विशेषज्ञों की भी मदद ली गई है। मिट्टी व पत्थरों की सैम्पिंग, डिजाइनिंग, कोडिंग, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी सहित विभिन्न माध्यमों से साक्ष्य जुटाने का भी काम चल रहा है। मौके पर काफी गहनता से जांच आवश्यक है। इसलिए जांच को अधिक बारीकी से करने और मिले साक्ष्यों के विश्लेषण में काफी समय लग सकता है। इसलिए एएसआई को समय दिया जाना जरूरी है। इस पर अंजुमन इंतजामिया की ओर से आपत्ति दाखिल की गई।