Gyanvapi Survey Order: ज्ञानवापी के ASI सर्वे पर फ़िलहाल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इस मामले में अब गुरूवार को हाईकोर्ट में 3:30 बजे सुनवाई होनी है। इसके बाद ही सर्वे का काम शुरू होने की उम्मीद है।
ASI के एडिशनल डायरेक्टर ने बुधवार को हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल हुए बताया कि परिसर में सर्वे के दौरान किसी भी प्रकार की खुदाई नहीं होगी। इसकी जानकारी हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने दी। विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कल हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद ही फैसला तय हो पाएगा।
Allahabad High Court stays till tomorrow ASI survey of Gyanvapi Mosque complex in Varanasi
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 26, 2023
"ASI's Additional Director today filed an affidavit in Allahabad High Court stating that during the survey there will be no damage to the structure. The ASI survey will not take place till… pic.twitter.com/3CLCKGoktY
इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को ASI के वैज्ञानिकों को तलब (Gyanvapi Survey Order) किया गया था। कोर्ट ने ASI के वैज्ञानिकों से पूछा था कि परिसर में खोदाई होगी या नहीं, इसे स्पष्ट करें। जिसके बाद वैज्ञानिकों ने कोर्ट में अपना जवाब प्रस्तुत किया है।
Gyanvapi Survey Order: जिला जज के आदेश के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट पहुंचा था मुस्लिम पक्ष
गौरतलब है कि वाराणसी जिला जज के 21 जुलाई के आदेश (Gyanvapi Survey Order) के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। जिसके बाद सोमवार को साढ़े पांच घंटे चले सर्वे को सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद रोक दिया गया था। साथ ही कोर्ट में मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था। हाईकोर्ट में ज्ञानवापी के ASI सर्वे को लेकर दो दिन सुनवाई चली, जिसके बाद फैसले के लिए 27 जुलाई (गुरुवार) की तारीख दी गई।
1993 से बैरीकेडिंग कर पूजा रोकी गई
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने कहा, ‘1993 तक मंदिर परिसर में गणेश, हनुमान, श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी। प्रशासन ने बैरीकेडिंग कर पूजा रोकी। व्यास परिवार पूजा करता था। राम जन्मभूमि के कारण पूजा रोकी गई। अभी यहां वर्ष में एक ही दिन पूजा होती है। मस्जिद हमेशा से विवादित रहा है।’
हिन्दुओं के अधिकारों का वर्षों से हो रहा हनन: विष्णु शंकर जैन
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा, ‘हमारे अधिकारों का लगातार हनन किया गया। मुकदमा दायर करने वाली महिलाएं अंदर मौजूद मां श्रृंगार गौरी की भक्त थीं। अब उन्हें केवल चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मस्जिद के बाहर से प्रार्थना करने का मौका मिलता है।’

अधिवक्ता ने आगे कहा, ‘औरंगजेब ने मंदिर का हिस्सा तोड़ा, पूजा होती रही। ईशान कोण में श्रृंगार गौरी की पूजा होती है। आदि विश्वेश्वर मंदिर है। विपक्षी क्या ये कह सकते हैं कि औरंगज़ेब ने मंदिर नहीं तोड़ा। कमीशन किसी भी स्टेज (Gyanvapi Survey Order) पर जारी हो सकता है। दीवार, खंभों पर मिले धार्मिक निशान का पता लगाया जाना जरूरी है कि क्या वे मंदिर का हिस्सा हैं। सरकार आदेशों का पालन करने के लिए फॉर्मल पार्टी है।
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ASI ने जांच में इतनी तेजी क्यों दिखाई? : मुस्लिम पक्ष
वहीँ इस मामले में कोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने भी अपनी दलीलें (Gyanvapi Survey Order) पेश की हैं। मुस्लिम पक्ष ने कहा, ‘ASI ने इस मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई? सर्वे से ज्ञानवापी के मूल स्वरूप को नुकसान हो सकता है। SC ने निचली अदालत को कहा था कि मुकदमा सुनने लायक है या नहीं? इस पर सर्वे कराने का फैसला दे दिया गया।
ASI के पास मैकेनिज्म नहीं कि खुदाई से भवन ध्वस्त होने से रोक सके। बिना सबूत के वाद दायर कर दिया, कोर्ट पहले दूसरे पक्ष की आपत्ति पर वाद बिंदु तय करे। यदि वाद मंजूर होता है तो स्ट्रक्चर खुद ही तय हो जाएगा। सर्वे की जरूरत ही नहीं। वाद को साक्ष्य पर तय किया जाना चाहिए।
इससे पूर्व ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर मंदिर विवाद मामले (Gyanvapi Survey Order) में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि हाईकोर्ट ने राम मंदिर के संदर्भ में भी ASI सर्वे का आदेश जारी किया था। सर्वे तीन साल चला, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ।
चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या ऐसा सर्वे कभी पहले हुआ है? इस पर विष्णु शंकर जैन ने बताया कि ऐसा सर्वे पहले राम मंदिर प्रकरण में हो चूका है। इसके बाद चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या आपने कोर्ट को पूरा प्लान सबमिट किया था कि यह सर्वे कैसे होगा?

जिसके जवाब में जैन ने हां कहा। मुस्लिम पक्ष के सीनियर एडवोकेट एसएफए नकवी ने कहा कि ज़िला कोर्ट के ऑर्डर में साफ़ तौर पर लिखा है कि ASI खुदाई कर सकती है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि एएसआई सिर्फ एक हफ्ते के लिए खुदाई ना करने की बात कह रही है।
इसके बाद वह खुदाई की कार्रवाई करने को स्वतंत्र है। मुस्लिम पक्ष ने हिन्दू पक्ष की ओर से जिला अदालत में रखी मांगों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी मांगों में खुदाई के जरिए एएसआई से सर्वे कराने की बात कही गई थी।
इस पर हिंदू पक्ष ने कहा कि चूंकि मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दावा (Gyanvapi Survey Order) किया था कि औरंगजेब ने यह मस्जिद बनाई है। ऐसे में यह औरंगजेब द्वारा बनाई मस्जिद थी या कोई हिंदू मंदिर था, इस सच का पता करने के लिए हमने जिला अदालत में सर्वे की मांग की थी।
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वैज्ञानिक सर्वे से सामने आएगा ज्ञानवापी का सच, सुलझेगी 354 वर्ष पुरानी मंदिर-मस्जिद की पहेली
हिन्दू पक्ष हमेशा से मुगल शासक औरंगजेब के फरमान पर वर्ष 1669 में आदिविश्वेश्वर का प्राचीन मंदिर ध्वस्त कर उसके ऊपर मस्जिद बनाने का दावा (Gyanvapi Survey Order) करता रहा है। इस आशय का तर्क जिला जज की अदालत में भी दिया गया है। हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया कि वर्ष 1670 से ही विवाद चल रहा है। 353 वर्ष हो गए हैं।
मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी में मस्जिद ही थी। मंदिर ध्वस्त करके उसके ऊपर नहीं बनाई गई है। बहरहाल, वैज्ञानिक जांच (Gyanvapi Survey Order) से ज्ञानवापी का सच सामने आ जाएगा। जो भी भ्रांतियां हैं, वह भी दूर हो जाएंगी। दरअसल, जिला जज डॉ० अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने राखी सिंह बनाम व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य के मुकदमे की सुनवाई के क्रम में 21 जुलाई को सील बजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Survey Order) के सर्वे का आदेश दिया था। पूरी खबर के लिए यहां क्लिक करें…