Gyanvapi Survey Started: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने सोमवार सुबह सात बजे से सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के बाकी हिस्सों का सर्वे शुरू किया। एएसआई की 30 सदस्यीय टीम दिल्ली, पटना और आगरा से रविवार रात वाराणसी पहुंच गई। इसकी पुष्टि जिलाधिकारी एस। राजलिंगम ने की है। सुबह सबसे पहले टीम के सदस्यों ने ज्ञानवापी के चारों तरफ ट्रेंच लगाया। इसके बाद ASI की टीम सर्वे में सामने आने वाले हर छोटी से छोटी वस्तु को बतौर प्रमाण जुटा रही है। एएसआई की टीम पांच से छह दिन में पूरे परिसर का सर्वे पूरा कर सकती है।
हिंदू पक्ष ने सर्वे में सहयोग की बात कही है। दूसरी ओर, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने जिला जज के आदेश (Gyanvapi Survey Started) के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तावित सुनवाई का हवाला देकर सर्वे की तिथि आगे बढ़ाने की मांग रखी। कमेटी ने कहा कि सोमवार को सर्वे में शामिल नहीं होगी। सर्वे का बहिष्कार किया जाएगा। सर्वे को लेकर जिले में हाई अलर्ट घोषित किया गया है। पुलिस अतिरिक्त सतर्कता बरतेगी।
Gyanvapi Survey Started: हिन्दू पक्ष और उसके अधिवक्ता मौजूद
सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में एएसआई की टीम के अलावा हिंदू पक्ष की पांच वादिनी महिलाएं व उनके चार अधिवक्ता मौजूद हैं। मसाजिद कमेटी के प्रतिनिधियों व उनके अधिवक्ताओं को भी मौजूद रहने के लिए कहा गया है। इसके अलावा जिला शासकीय अधिवक्ता, राज्य सरकार के अधिवक्ता, केंद्र सरकार के अधिवक्ता, एडीएम सिटी और एक अपर पुलिस आयुक्त मौजूद हैं।

हिंदू पक्ष ने किया कैविएट दाखिल
सर्वे से संबंधित जिला जज की अदालत के फैसले (Gyanvapi Survey Started) के बाद हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया है। वादिनी सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की जा चुकी है। इसी तरह मां शृंगार गौरी मुकदमे की एक अन्य वादिनी राखी सिंह की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की गई है। उनके अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि राखी सिंह एएसआई से सर्वे के समर्थन में हैं। कैविएट इसलिए दाखिल की गई है कि किसी भी आदेश से पहले उनके पक्ष को सुना जाए।
ज्ञानवापी के आसपास चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा
ज्ञानवापी परिसर सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील है। आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ के जवानों के पास है। पीएसी के जवान और पुलिसकर्मी भी तैनात हैं। ज्ञानवापी परिसर के बाहर और आसपास के इलाके में दो आईपीएस, दो एडिशनल एसपी, चार डिप्टी एसपी, 15 थानेदार, एक कंपनी पीएसी और एक कंपनी सेंट्रल आई पुलिस फोर्स के जवान तैनात हैं।
वाराणसी जिला जज की अदालत के आदेश पर एएसआई (Gyanvapi Survey Started) की टीम ने सोमवार की सुबह से ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक तरीके से सर्वे का कार्य शुरू कर दिया। सर्वे के दौरान वाराणसी पुलिस प्रशासन के ओर से सुरक्षा व्यवस्था टाइट है। इसमें देश के कई शहरों के एएसआई के विशेषज्ञों रविवार की रात में ही वाराणसी पहुंच गए हैं।

ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे (Gyanvapi Survey Started) से दुनिया के सामने सच सामने आएगा। इसमें बड़े विवाद के हल की उम्मीद भी बंधी है। एएसआई की टीम सुबह सात बजे ज्ञानवापी परिसर पहुंच गई। टीम ने पहले परिसर का निरीक्षण किया, इसके बाद तय किया कि सर्वे कहां से और कैसे किया शुरू किया जाए। टीम आधुनिक मशीनों के साथ आई है। न्यायालय के आदेश के अनुसार, ज्ञानवापी परिसर की दीवार छत सहित अन्य हिस्सों की अलग-अलग तकनीक व वैज्ञानिक तरीकों से जांच की जाएगी। रडार सर्वे की तकनीक के जरिये जमीन के नीचे तीन से चार मीटर का सर्वे किया जा सकता है। एएसआई के सामने रडार सर्वे के अलावा ट्रेंच लगाने का भी विकल्प है।

Gyanvapi Survey Started: मूर्तियां और अभिलेख बयां करेंगे इतिहास
ज्ञानवापी परिसर से 50 मीटर की दूरी में भी ट्रेंच लगाकर सर्वे (Gyanvapi Survey Started) किया जा सकता है। इससे पता चलेगा कि यह परिसर कितने पहले आबाद हुआ होगा? कौन सी चीज सबसे पहले बनी होगी? इस दौरान मिलने वाले पत्थर के टुकड़े, अन्न के दाने, मूर्तियां, अभिलेख व हर छोटी से छोटी वस्तु भी बेहद महत्वपूर्ण होगी। इससे इतिहास की जानकारी मिल जाएगी। एएसआई सापेक्ष और निरपेक्ष डेटिंग पद्धति के जरिये भी सर्वे कर सकता है। अब माइक्रोडेटिंग भी संभवः सर्वे शुरू हो रहा है।
बीएचयू के इतिहासकार प्रो० अशोक सिंह का कहना है कि अयोध्या में भी एएसआई सर्वे से सच सामने आ चुका है। उस दौरान भी यह देखने का प्रयास हुआ था कि जो स्ट्रक्चर दिख रहा है, उसके अतिरिक्त और क्या-क्या है। अब तो माइक्रोडेटिंग का जमाना है। एक अन्न के दाने से भी उसका कालखंड पता लग जाएगा।
जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई को आदेश दिया था कि एएसआई ज्ञानवापी परिसर स्थित सील बजूखाने को छोड़कर शेष हिस्से की वैज्ञानिक जांच (Gyanvapi Survey Started) करे। साथ ही रिपोर्ट बनाकर चार अगस्त तक दे और बताए कि क्या मंदिर तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई है। इसी क्रम में रविवार को एएसआई के एडिशनल डिप्टी डायरेक्टर प्रो. आलोक त्रिपाठी ने पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन और जिलाधिकारी से मुलाकात कर सर्वे से जुड़े दोनों पक्षकारों की बैठक बुलाने का अनुरोध किया।
पुलिस आयुक्त और डीएम ने रविवार देर रात मसाजिद कमेटी और हिंदू पक्ष के साथ अलग-अलग बैठक की। बैठक में अदालत के आदेश (Gyanvapi Survey Started) का हवाला देकर शांतिपूर्ण तरीके से सर्वे का काम संपन्न कराने में सहयोग की अपील की गई। डीएम ने बताया कि एएसआई की टीम शहर में आ गई है। जिसके बाद अदालत के आदेशानुसार, सोमवार की सुबह से ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का काम शुरू हो गया।