वाराणसी के ऐतिहासिक दालमंडी (Dalmandi)के सड़क चौड़ीकरण को लेकर जारी विवाद ने अब न्यायिक मोड़ ले लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस परियोजना के तहत तोड़े जाने वाले 189 मकानों और अन्य निर्माणों पर फिलहाल 20 मई तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
यह फैसला जस्टिस एम.के. गुप्ता और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने शाहनवाज खान बनाम यूपी स्टेट केस की सुनवाई के दौरान सुनाया। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार बिना स्पष्ट मुआवजे और कानूनी प्रक्रिया के दबाव बनाकर मकान खाली कराने की कोशिश कर रही है, जिससे व्यापारियों और निवासियों में भय का माहौल है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अन्य समान याचिकाओं जैसे सैयद जाकिर हुसैन बनाम राज्य सरकार का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक दालमंडी (Dalmandi)में किसी भी तरह का तोड़फोड़ या निर्माण कार्य नहीं होगा।
मुआवजे को लेकर गहराया विवाद
शाहनवाज खान ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में खतौनी का कोई प्रावधान नहीं होता और यहां केवल नगर निगम द्वारा जारी किया गया पीला टैक्स कार्ड मान्य होता है। वहीं PWD द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, केवल इमारतों का मुआवजा दिया जाएगा, जमीन का नहीं—क्योंकि उसके पास खतौनी नहीं है। इसी को लेकर याचिका दायर की गई थी।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा स्पष्टीकरण
हाईकोर्ट ने अपने इस अंतरिम फैसले को सुनाने के बाद राज्य सरकार से कुछ बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। अदलात द्वारा जिन मुद्दों को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है, वह इस प्रकार हैं:-
- मुआवजा किस आधार पर मिलेगा?
- सर्किल रेट क्या होगा?
- क्या बिना खतौनी के मुआवजा नहीं मिलेगा?
- मॉडल सड़क परियोजना की हकीकत
गौरतलब है कि पूर्वांचल की सबसे बड़ी मंडियों में से एक दालमंडी, जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से मात्र 150 मीटर दूर है, उसे मॉडल सड़क के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है। इस चौडीकरण अभियान से पुरे दालमंडी (Dalmandi)में मानों हड़कंप मच गया और व्यापारियों में हताहत फ़ैल गई है। दालमंडी के संकरी 8 फीट की सड़क को 23 फीट चौड़ा किया जाना प्रस्तावित है।
इसके लिए वर्ष 2024-25 के अंत में सरकार ने इस परियोजना के लिए 200 करोड़ रूपये से अधिक की लागत में से 2 करोड़ रूपये की पहली किश्त जारी की थी। PWD ने इसी के तहत 900 मीटर लंबी इस सड़क के किनारे 189 मकानों की चौड़ाई और गहराई की नाप पूरी कर ली थी। नापिकरण के बाद से उठा यह मामला टूल पकड़ने लगा और चर्चा का विषय बना गया।
Dalmandi के व्यापारियों का संघर्ष, कोर्ट की आशा
वहीं दालमंडी (Dalmandi) के व्यापारी, जिनकी दुकानें पीढ़ियों से वहां पर संचालित हो रही हैं, इस चौड़ीकरण को अपनी जीविका और विरासत पर हमला मान रहे हैं। हाईकोर्ट का यह अंतरिम फैसला उनके लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
अब 20 मई तक राज्य सरकार को अपना पक्ष अदालत में रखना है, जिसके बाद इस मामले पर आगे की सुनवाई होगी। तब तक दालमंडी (Dalmandi)की गली में किसी भी प्रकार का तोड़फोड़, निर्माण कार्य और बुलडोजर नहीं चलेगा, इसके चलते व्यापारियों को कुछ दिनों की राहत जरूर मिली है।