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Home राज्य उत्तर प्रदेश वाराणसी

कैसा हो काशी का मेयर ? कॉलेज के प्रोफेसरों ने दी अपनी राय

by Abhishek Seth
December 22, 2022
in वाराणसी, स्पेशल स्टोरी
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निकाय चुनाव: महापौर पद पर मंथन शुरू, दिल्ली में लगेगी अंतिम मुहर
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  • मेयर वही जो जनता के दर्द को समझे, हो हमारे बीच का

वाराणसी। काशी किसी पहचान की मोहताज नहीं, आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बनारस का कोई तोड़ नहीं। प्राचीन शहर के साथ काशी के कई कीर्तिमान स्थापित किये लेकिन विकास के क्षेत्र में काशी पिछड़ गया। इसके पीछे तमाम कमियां रहीं। लेकिन इस बात को नकरा नहीं नहीं जा सकता कि साल 2014 के बाद काशी को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का क्रांतिकारी प्रयास किया गया जो सफल भी रहा। अब जरूरत है है तो बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की। ये तभी संभव होगा जब काशी का मेयर अपने बीच का हो और जनता के दर्द का समझने वाला हो। शहर की मेजर समस्याएं जिसे आजतक किसी भी मेयर ने सुधारा नहीं, जैसे सीवर, दूषित पानी, गंदगी और मोहल्लों की सड़कें। शहर तभी स्मार्ट और सुंदर होगा जब बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जायेगा। अफसोस कि इस दिशा में किसी भी मेयर ने वो कदम या कह लें बदलायव का प्रयास नहीं किया जो होना चाहिए, खासकर काशी जैसे शहर में इसकी जरूरत सबसे ज्यादा है। क्योंकि धार्मिक शहर के साथ ही विश्व पटल पर इसकी पहचान अलहदा है। देशी विदेशी शैलानियों का मजमा यहां लगा रहता है। लेकिन शिकायत बस एक बात की होती है कि विकास तो हुआ बदलाव भी हुआ लेकिन गंदगी से निजात नहीं मिल सकी। अब कि बार सभी दलों को ये सोचना होगा कि मेयर का प्रत्याशी ऐसा दें, जो काशी का विकास करे।

आखिर क्या वजह है कि इंदौरा या नार्थ ईस्ट के शहरों में स्वच्छता, सुंदर सड़के, शुद्ध पानी और मोहल्लों दिखने को मिलते हैं जवाब सीधा सा वहां के मेयर के पास विजन हैं और शहर को अपना समझते हैं। यहीं वजह है कि यहां चमचमा सड़के, शुद्ध जल और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया। ऐसे में काशी का मेयर ऐसा हो जो बुनियादी जरूरतों और शहर की स्वच्छता पर ध्यान दे। कुछ इस तरह का स्ट्रक्चर तैयार हो कि यहां के कामगारों को किसी दूसरे शहर में जाकर काम नहीं करना पड़े। नियमों का पालन कराने के लिए ठोस रणनीति बने, यातायात जैसी जटल समस्या को किस तरह पटरी पर लाया जा सके इसके लिए संबन्धित विभाग से कोआर्डिनट करे और हल निकाले। अतिक्रमण से संकरी हो गयी सड़कों को मुक्त कराने के साथ ही काशी के इतिहास और महापूरूषों की जवीन यात्रा से नई पीढ़ी को अवगत कराने की योजना पर काम हो। जल दोहन और टूटी सड़कों को सुधारा जा सके। इस विजन का मेयर होना चाहिए।

प्रधानमंत्री का चुनावी क्षेत्र होने के कारण निश्चित तौर पर बनारस केंद्र में आया है और  बड़े काम हो रहे हैं लेकिन अब हमें देखना होगा कि नये मेयर के चुनाव के बाद क्या काशी की बुनियादी जरूरतें पूरी होगी। मेयर ऐसा है जिसकी दृष्टि समाजिक, आर्थिक विकास की तरफ केंद्रीत हो। असल में सरकारी और कोऑपरेटिव स्कूल और अस्पताल समाप्तप्राय हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण की सबसे बुरी चोट इन पर पड़ी है। बुनकरों को वो सुविधाएं नहीं मिल रही जिसकी उन्हें दरकार है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में दूसरे महानगरों में पलायन हो रहा है। दिहाड़ी मजदूरों के श्रम के पैसों को बिचौलियों के हाथ जाने से बचाना चाहिए। शिक्षित होने के बाद भी युवा बेरोजगार है। ऐसा स्ट्रक्चर हो कि उन्हें यहां रोजगार मिल सके। रोजगार नहीं होने से युवाओं के अंदर तेजी से नशे और साम्प्रदायिक उन्माद  घर कर रहा है। जबतक नींव मजबूत नहीं होगी विकास की बात करना बेइमानी होगी। ऐसे में  हमारा मेयर ऐसा हो जो बनारस की इस नींव को मजबूती दे। साम्प्रदायिक उन्माद को रोके, गंगा-जमुनी संस्कृति और मेहनतकशों के हितों की ओर ध्यान दे।

  • डॉ. वंदना चौबे, सहायक प्रोफेसर, हिन्दी विभाग आर्य महिला पी.जी. कॉलेज (बीएचयू)

काशी की आत्मा को जो छू सके ऐसा हो काशी का अगला मेयर। काशी में आनेवाले अतिथियों का स्वागत गर्मजोशी   के साथ किया जाए लेकिन साथ ही साथ यहां रहने वाले मूल निवासियों के दैनिक सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाए। सड़क, पानी, ट्रैफिक और सीवर को दुरुस्त करने की तत्काल आवश्यकता है। काशी के मेयर से यह अपेक्षा है कि वह यहां के युवाओं के लिए  रोजगार सृजन स्थानीय उत्पाद और सेवाओं का स्तर उच्चतर करे जिसकी मांग और आपूर्ति वैश्विक मंच से की जा सके। काशी में अनुसंधान के नए केंद्र खोले जाए जिसके माध्यम से काशी की संस्कृति को बढ़ावा मिल सके। काशी का मेयर नियमित तौर पर काशी के सभी लोगो से अलग अलग समूह में संवाद  करे और उनकी समस्याओं को सुने और उनसे ही समाधान के उपाय पूछे। काशी के विकास में नए तकनीकों का प्रयोग स्थानीय  परंपराओं के निर्वहन के साथ हो। काशी के  वृहत्तर विकास की योजना को  छोटे छोटे लक्ष्य बना कर जनसहयोग से पूरा करने का विश्वास हो और उसे सोशल मीडिया पर साझा किया जाए ताकि दुनिया काशी के निखरते रूप से पल पल परिचित हो सके।

  • डॉ० अलका गुप्ता, विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग यूपी कॉलेज

मेयर वो हो जो काशी की स्वच्छा पर ध्यान दे, साथ ही प्रशासन से संवाद कर कानून व्यवस्था से लगायत बुनियादी जरूरतों को पूरा करे। बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए नगर नियोजन और नगर प्रबंधन पर ध्यान देने वाला हो। कॉलोनी मोहल्लों के अलावा शहर का एक बड़ा तबता मलिन बस्तियों में रहता है ऐसे में वहां पेय जल, स्वास्थ्य सुविधा समेत अन्य जरूरतों को पूरा करने वाला हो। शहर की सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक की है और इस तरफ किसी का ध्यान नहीं ऐसे में मेयर ऐसा हो जो सबसे पहले इस बड़ी बीमारी का इलाज कर सके। बनारस घाट और मंदिरों का शहर है अफसोस कि यहां सबसे ज्यादा गंदगी दिखने को मिलती है। मेयर का ध्यान इस तरफ जरूर होना चाहिए। शहर की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए नए टाउन का निर्माण हो। जल निकासी की समस्या दशकों से दूर नहीं हो पायी इसपर ध्यान देने वाला हो। शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाला हो। समय-समय पर राज्य और केंद्र सरकार से संवाद कर विकास के नये पैमाने का स्थापित करने वाला हो।

  • प्रो.सुशील कुमार गौतम, विभागाध्यक्ष, शिक्षाशास्त्र महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ

दलगत राजनीति से उपर उठकर काम करने वाला मेयर चाहिए। अक्सर सुनने को मिलता है कि जिस दल का मेयर होता है उसी दल के पार्षदों के इलाकों में विकास कार्य होते हैं। यहीं वहज है कि शहर की बुनियादी जरूरते अबतक नहीं पूरी हो सकी। दलगत भावना से उपर उठकर काम रकने वाला मेयर चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य और सफाई के साथ-साथ विकास की नई योजनाओं पर काम करने वाला है। कार्यालय से निकलकर जनता से सीधा संवाद करे और उन्हीं से समस्याओं को सुने और निस्तारण करे। सबसे ज्यादा जरूरत इस शहर को ट्रैफिक व्यवस्था से निजात दिलाने की है, पेय जल शुद्ध हो और अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई कर सके। शहर का मेयर ऐसा हो जो जनता से जुड़े ना कि नौकरशाहों से। अफसोस की एक दो मेयर छोड़ इस दिशा में किसी ने काम नहीं किया। शहर की मेजर समस्याएं जिसे आजतक किसी भी मेयर ने सुधारा नहीं, जैसे सीवर, दूषित पानी, गंदगी और मोहल्लों की सड़कें। शहर तभी स्मार्ट और सुंदर होगा जब बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जायेगा।

  • प्रो० धर्मेन्द्र कुमार सिंह, विभागाध्यक्ष, उद्यान विभाग, यूपी कॉलेज।

आप भी भेजें अपनी राय

निकाय चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। हालांकि अभी चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। लेकिन विभिन्न पार्टियों में संभावित प्रत्याशियों की दावेदारी की कवायद परवान चढ़ रही है। भारतीय लोकतंत्र में उम्मीदवारों का चयन पार्टियों द्वारा होता है। वो जिसे टिकट देती है, वही चुनावी जुंग में ताल ठोकते हैं। पार्टियों के चयन का अपना पैमाना होता है, उनकी तवज्जो सिर्फ जिताऊ कैंडिडेट पर होती है। इस प्रक्रिया में मतदाता की राय कोई मायने नहीं रखती। मेयर प्रत्याशी के गुण दोष को लेकर लोग क्या सोचते हैं? इसे सामने लाने के मकसद से जन्संदेश टाइम्स ने ‘अपना मेयर कैसा हो?’ श्रृंखला शुरू की है।

यदि आप भी इस मुद्दे पर कुछ अपनी राय रखना चाहते हों, तो हमारे दिए नंबर पर व्हाट्सअप्प करें अथवा हमें मेल करें। आप अपनी राय हमें यहां पर कमेंट करके भी दे सकते हैं। साथ में अपनी नाम व फोटो अवश्य दें।

व्हाट्सएप्प – 8090006333

मेल आईडी- jansandeshvaranasi@gmail.com

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Tags: muncipal election 2022Nikay chunav 2022
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