- विश्वशांति का सपना साकार करना है तो भारतीय सिद्धांतों को जानना जरूरी: इन्द्रेश कुमार
- आध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से ही दुनिया में शांति: डॉ. विश्वनाथ डी. कराड
- ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म के विश्व सम्मेलन का विश्वनाथ धाम में हुआ उद्घाटन
- माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे का काशी विश्वनाथ कारिडोर में त्रिदिवसीय आयोजन
राधेश्याम कमल
वाराणसी। बीएचयू के पूर्व कुलाधिपति पद्मविभूषण डॉ. कर्ण सिंह ने कहा कि नया समाज और नई दुनिया बनाने के लिए वसुधैव कुटुंबकम और बहुजन सुखाय बहुजन हिताय जैसे भारतीय सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण है। इसी के बदौलत संपूर्ण मानव का कल्याण होने वाला है। माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे, की ओेर से काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर के त्रंबकेश्वर हाल में आयोजित त्रिदिवसीय 9वें ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म और दर्शनशास्त्र के प्रथम दिन गुरुवार को उद्घाटन के मौके पर डॉ. कर्ण सिंह बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। डॉ. कर्ण सिंह ने कहा कि ज्ञानयोग, भक्ति योग, कर्मयोग और राजयोग इन सिद्धांतों के पालन करने से संपूर्ण मानव जाति का उद्धार होगा।

सृष्टि के सारे धर्मों में मानव कल्याण की बात कही गई है। सभी भारतीय संत एवं दार्शनिकों ने राजयोग के बदौलत मानव कल्याण के कार्य करते हुए उन्हें नई राह दिखाई है। राजयोग आत्मिक शक्तियों की कुंजी है। इन्हीं के बदौलत नई सृष्टि का निर्माण होने वाला है। कार्यक्रम में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अध्यक्ष इंद्रेश कुमार ने कहा कि विश्व शांति का सपना साकार करना है तो भारतीय सिद्धांतों को जानना जरूरी है। इंसान होते हुए भी कुछ लोगों ने बुराई का हाथ थामा है वह गलत है। आम आदमी को सम्मान, शिक्षा व रोटी-कपड़ा व मकान चाहिए। लेकिन कुछ लोग हाथों में बम-गोली भी रखते हैं। कुछ लोग नफरत व गुस्सा रखते हैं। अगर लोग नफरत व गुस्सा छोड़ दे तो विश्व शांति हो सकती है। अगर हर धर्म दूसरे धर्म की अच्छाई बताये तो मानवता आ जायेगी।

चाइना ने कोरोना से मानव जाति को मारने का प्रयास किया लेकिन भारत ने उन्हें बचाने का प्रयास किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिंटी के संस्थापक डॉ. विश्वनाथ डी. कराड ने कहा कि अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से ही दुनिया में शांति आ सकती है। सारी दुनिया को सुख, शांति और समाधान का मार्ग केवल भारत माता ही दिखाएंगी।
यह कॉरिडॉर अब ज्ञान की भाषा में तब्दिल होना चाहिए. धर्म ग्रंथ ही जीवन ग्रंथ होता है. इसलिए अंतिम सत्य की खोज में लगना है। योगी साधक अमरनाथ ने कहा कि जहां ज्ञान है वहां विद्वता होती है. प्राचीन सिद्धांतों पर अनुसंशोधन कर दुनिया के सामने रखने का समय आ गया है. सदियों से ज्ञान प्राप्त है अब विज्ञान उसी के आधार पर नई नई खोज कर रही है। इसके मंथन से जो निकलेगा उससे ही मानव कल्याण होने वाला है। अब हमें आत्मिक ढंग से सोचने की जरूरत है।

डॉ. योगेंद्र मिश्र ने कहा, प्रत्येक व्यक्ति सुख की खोज में है। ऐसे में पुणे के एमआईटी डब्ल्यूपीयू की ओर से जो विश्व शांति का सराहनीय कार्य चल रहा है। इसलिए सारी दुनिया विश्व कल्याण की अपेक्षा भारत के पास है। जीवन में अकड़ों मत सदैव झुके रहिये। सत्य पर चलते हुए समय का सद्उपयोग करना चाहिए। जीवन में व्यसन का तिरस्कार और वैराग्य का प्रयास करना चाहिए। प्रो.डॉ. गौतम बापट ने सूत्र संचालन और प्रो. स्वाती कराड चाटे ने सभी का आभार व्य्क्त किया।
संकट मोचन दरबार में पहुंचे कर्ण सिंह
बीएचयू के पूर्व कुलाधिपति डॉ. कर्ण सिंह ने बुधवार दोपहर संकट मोचन हनुमत दरबार में मत्था टेका। मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र से मुलाकात की। करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात के दौरान उन्होंने काशी में गंगा की स्थिति पर विमर्श किया। प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने कहा कि गंगा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। गंगा में गिरते नाले पर भी उन्होंने चिंता जताई।