- दोस्त की मौत ने बदल दिया जिंदगी का मकसद
- देश भर में स्थापित किया 1400 निशुल्क पुस्तकालय, अब तक बांटे 56 हजार हेलमेट
राघवेन्द्र केशरी
दोस्त की सड़क हादसे में मौत ने राघवेंद्र (हेलमेट मैन) की जिंदगी का मकसद बदल दिया। सात सालों से वह देश भर में हेलमेट पहनने और साक्षरता की अलख जगा रहा है। मिशन बन चुके इस मकसद के लिए राघवेंद्र ने आईटी सेक्टर की नौकरी छोड़ दी। पत्नी के जेवर बेच दिए। मेहनत की कमाई से बनाया घर तक बेचना पड़ा लेकिन आज भी हिम्मत नहीं हारी। उनका मूलमंत्र है मौत से बचना हे तो पुस्तक दो हेलमेट लो…।
वाराणसी। कैमूर के बगाढ़ी गांव के रहने वाले राघवेंद्र की मुहिम ने उन्हें हेलमेट मैन का खिताब भी दिलाया। राघवेंद्र अब तक 56 हजार लोगों को हेलमेट और छह लाख से ज्यादा बच्चों को निशुल्क पुस्तकें बांट चुके हैं। 2014 में यमुना एक्सप्रेस वे पर जिगरी दोस्त की सड़क दुर्घटना में मौत ने राघवेंद्र कुमार को झकझोर दिया। दोस्त की मौत बिना हेलमेट के बाइक चलाते समय हुई थी। फिर इन्होंने अपने दोस्त की पुस्तकों को जरूरतमंदों को दिया। इसके बाद इन्होंने पीछे पलट कर नहीं देखा। इस मुहिम के लिए इन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। यहां तक की बाद में इनको अपना घर तक बेचना पड़ा। फिर भी हिम्मत नहीं हारी और आज देश भर में इस मुहिम को आगे बढ़ाने में लगे हैं। लोगों को हेलमेट के प्रति जागरूक करने के लिए यह किताब के बदले जगह-जगह सड़कों पर फ्री हेलमेट बांटते हैं। राघवेंद्र बताते हैं कि वो अपने चार भाईयों में सबसे छोटे हैं। उन्होंने एक गरीब परिवार में जन्म लिया। पिता राधेश्याम सिंह खेती-किसानी करके घर चलाते थे। उन्होंने बनारस के आदर्श इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट किया और दिल्ली से विधि में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
घटना ने कराया दर्द का अहसास
कृष्ण राघवेंद्र का जिगरी दोस्त था। सड़क हादसे में कृष्ण को खोने के बाद उन्होंने उसके परिवार को टूटते हुए देखा। राघवेंद्र के मुताबिक इस घटना ने उन्हें उन लोगों के दर्द का अहसास कराया। जिन्होंने कृष्ण की तरह बाइक हादसे में अपनो को खो दिया है। राघवेंद्र ने इस घटना के बाद तय किया कि वो अपने दोस्त की तरह किसी और को मरने नहीं देंगे और एक खास तरह का सड़क सुरक्षा अभियान शुरू करेंगे।

अब है मदद की उम्मीद
राघवेंद्र ने बताया कि पिछले नौ साल से वह अपना मिशन जारी रखे हुए हैं लेकिन आगे वो अपना मिशन कैसे जारी रखेंगे उन्हें नहीं पता। वो इसी तरह आगे बढ़ते रहना चाहते हैं। राघवेंद्र के काम के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उनके काम की सराहना करते हुए सम्मानित किया और बिहार के परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला राघवेंद्र को उनके इस काम के लिए सम्मानित भी कर चुके हैं। इसके अलावा जाने माने फिल्म अभिनेता सोनू सूद भी उनसे मिलकर काफी प्रभावित हुए।
पुस्तक देकर ले सकते हैं हेलमेट
राघवेंद्र ने बताया कि देश के 22 राज्यों में उन्होंने अबतक कुल 56 हजार हेलमेट बांटने का रिकार्ड बनाया है। जिससे 29 लोगों की जान भी बचाई गई है। यह 29 लोग घर पर उनकी तस्वीर लगाकर उन्हें आइडल की तरह मानते हैं।

अब तक 1400 लाइब्रेरी की गई स्थापित
हेलमेट मैन देश को 100 प्रतिशत साक्षर बनाने के साथ ही सड़क दुर्घटनाओं से मुक्त करना चाहते हैं। लोगों से इकट्ठा कर इन पुस्तकों को वह जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क देते हैं। नौ सालों में देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर इन्होंने कुल 56000 लोगों को हेलमेट और छह लाख से ज्यादा बच्चों को निशुल्क पुस्तकें बांटी हैं। बताया कि बुक बैंक की भी स्थापना कर रहे हैं। इसके लिए शहरों में बुक बैंक बाक्स लगा चुके हैं। जहां कक्षा छह से लेकर स्नातक तक की पुस्तकें निशुल्क मिलेंगी। राघवेंद्र बतातें हैं कि उन्होंने अबतक देश भर में 1400 लाइब्रेरी स्थापित की है।
स्कूल में हेलमेट बैंक की स्थापना
राघवेंद्र का यह मानना है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी हेलमेट की काफी आवश्यकता है। ताकि वह अपने परिजनों के साथ स्कूल आते और आते समय उसका प्रयोग कर दुर्घटनाओं से बच सकें। इसके लिए उनके द्वारा स्कूलों में हेलमेट बैंक स्थापित करने की पहल की जा रही है। राघवेंद्र इसके लिए स्कूल संचालकों को प्रेरित कर रहे हैं।

विदेशों में भी हेलमेट मैन की डिमांड
भारत में सड़क सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक कर रहे राघवेंद्र कुमार (हेलमेट मैन) की अब विदेशों में भी डिमांड हो रही है। उन्हें सभाओं को संबोधित करने के लिए विदेशों से भी निमंत्रण आ रहे हैं। हाल में ही उनकों नेपाल में एशियन एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। जबकि यूनाइटेड नेशन के जेनेवा में होने वाले रोड सेफ्टी कार्यक्रम में भी उन्हें बुलाने की बात की जा रही है।