जौनपुर (Jaunpur) की ऐतिहासिक अटाला मस्जिद से जुड़े विवाद ने धार्मिक और कानूनी बहस को एक नई दिशा दे दी है। हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच यह मामला अब इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है।
हिंदू पक्ष का दावा
हिंदू पक्ष का दावा है कि अटाला मस्जिद का निर्माण एक पुराने अटाला देवी मंदिर को तोड़कर किया गया था। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस स्थान पर पूजा-अर्चना का अधिकार मांगा है।
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Jaunpur: जिला अदालत का फैसला
जौनपुर जिला अदालत ने इस मामले को पोषणीय मानते हुए सुनवाई की अनुमति दी थी। अदालत ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों और याचिकाकर्ता के दावों की जांच आवश्यक है।
वक्फ़ बोर्ड की अपील
मस्जिद की ओर से वक्फ़ बोर्ड ने इस फैसले को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की है। वक्फ़ बोर्ड का कहना है कि विवादित स्थल हमेशा से मस्जिद रही है और यह 1398 में बनी थी। उन्होंने हिंदू पक्ष के दावे को खारिज करते हुए इसे आधारहीन बताया।
हाईकोर्ट में सुनवाई
यह मामला अब 9 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
पक्ष-विपक्ष की दलीलें
- हिंदू पक्ष: उनका कहना है कि यह स्थल अटाला देवी मंदिर का था, जिसे तोड़कर मस्जिद में बदला गया।
- मुस्लिम पक्ष: मस्जिद का वक्फ़ बोर्ड दावा करता है कि यह स्थल हमेशा मस्जिद रहा है और यहां नियमित रूप से नमाज अदा की जाती है।
ओवैसी ने जताई नाराजगी
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विवाद पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि “पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि “ऐसे झूठे विवाद देश को कमजोर करते हैं।”