Jivitputrika Vrat : माता और संतान के प्रेम का प्रतीक जीवित्पुत्रिका त्यौहार शुक्रवार को मनाया जाएगा. इसी के साथ काशी के 16 दिवसीय ‘सोरहिया मेला’ का समापन भी होगा. इस दौरान माताएं अपने पुत्र के दीर्घायु के लिए 24 घंटे का निरजल व्रत रखेंगी. माता और संतान के प्रेम का प्रतीक यह त्यौहार शुक्रवार (6 अक्टूबर) को मनाया जायेगा।
इस व्रत की शुरुआत गुरुवार को नहाय खाय से शुरू हुई। शुक्रवार को महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु व सलामती के लिए शुक्रवार को व्रत रखेंगी। वहीँ शनिवार (7 अक्टूबर) को इसका पारण होगा। इसे जीवित्पुत्रिका अथवा जितिया व्रत (Jivitputrika Vrat) भी कहा जाता है।
जितिया व्रत (Jivitputrika Vrat) महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु की कामना व खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। अस्सी घाट के तीर्थ पुरोहित बलिराम मिश्र के अनुसार, इस व्रत से संतान प्राप्ति के साथ ही दुख-दर्द व परेशानियों से भी संतान की रक्षा होती है। इस त्यौहार की शुरुआत 16 दिवसीय ‘सोरहिया मेला’ से होती है। समापन के दिन महिलाएं ‘जीवित्पुत्रिका’ का व्रत रखेंगी।
अष्टमी तिथि का मुहूर्त
अष्टमी 06 अक्टूबर 2023 को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से प्रारंभ होगी और 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी।
जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) 2023 पूजन मुहूर्त
जितिया व्रत पूजन का पहला मुहूर्त सुबह 7 बजकर 45 मिनट से 9 बजकर 13 मिनट तक होगा। इसके बाद 9 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक और फिर 12 बजकर 9 मिनट से 1 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। शाम का पूजन मुहूर्त 4 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगा।
जीवित्पुत्रिका व्रत करने से पूर्व इन बातों का रखें ध्यान
जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) को रखने से पहले नोनी का साग खाने की परंपरा है। कहा जाता है कि नोनी के साग में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है। जिसके कारण व्रती के शरीर को पोषक तत्वों की कमी नहीं होती है। इस व्रत के पारण के बाद महिलाएं जितिया का लाल रंग का धागा गले में पहनती हैं। व्रती महिलाएं जितिया का लॉकेट भी धारण करती हैं। पूजा के दौरान सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है। व्रत पारण के बाद यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के तौर पर लगाते हैं।

पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें स्नान आदि करने के बाद सूर्य नारायण की प्रतिमा को स्नान कराएं। धूप, दीप आदि से आरती करें और इसके बाद भोग लगाएं। मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाएं। कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। विधि-विधान से पूजा करें और व्रत की कथा अवश्य सुनें। व्रत पारण के बाद दान जरूर करें।
Highlights
जीवित्पुत्रिका व्रत 2023 पारण का समय
जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 10 मिनट के बाद किया जा सकेगा।
बाजारों में सज गई है फलों की दुकान
जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) को लेकर बाजारों में फलों की दुकानें सज गई हैं। इस व्रत में महिलाएं पांच प्रकार के फल चढ़ाती हैं। इसके साथ ही फूल व माला भी चढ़ाया जाता है। जिसे लेकर बाजार सज गए हैं। फल विक्रेता अमित कुमार ने बताया कि फलों के दाम को लेकर बाजार गर्म है। इस बार इस त्यौहार पर सभी फलों के दाम लगभग 5% तक बढ़ गए हैं।

जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) के लिए विशेष माला की परम्परा
इस व्रत में एक विशेष प्रकार का माला बनाया जाता है, जिसकी दुकान भी शहर के कई क्षेत्रों में सज गई है। लंका, गोदौलिया, लक्सा, मैदागिन, सिगरा आदि क्षेत्रों में दुकानें गुलजार हैं। धीरे-धीरे इस विशेष माला को खरीदने के लिए लोग पहुंचने भी लगे हैं। इस माले में सोने या चांदी की छोटी-छोटी जितिया भी गुथ जाता है। जिसे पूजा के दौरान शामिल किया जाता है। बाद में इसे पुत्र या पुत्री का को पहनाया जाता है।