Kanpur News: कानपुर पुलिस ने अखिलेश दुबे के साम्राज्य पर एक और बड़ा प्रहार किया है। ग्वालटोली थाना क्षेत्र के तत्कालीन इंस्पेक्टर और दुबे का खास सहयोगी माने जाने वाले सभाजीत सिंह मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया है। उस पर वक्फ की जमीन पर कब्जा कराने, धमकाने, रंगदारी वसूलने और दुबे गैंग को संरक्षण देने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
सभाजीत मिश्रा को पहले ही निलंबित किया जा चुका था। एसआईटी (Kanpur News) की लंबी जांच के बाद उसकी गिरफ्तारी हुई। सूत्रों के अनुसार, वह लंबे समय से ग्वालटोली इलाके में सक्रिय था और दुबे के इशारों पर वक्फ बोर्ड की सिविल लाइंस स्थित बेशकीमती जमीन पर कब्जा कराने में मदद करता था। बताया जाता है कि इस जमीन पर दुबे परिवार ने गेस्ट हाउस तक खड़ा कर लिया था।
जांच में सामने आया कि सभाजीत ने मुतवल्ली मोईनुद्दीन आसिफ को धमकाकर रंगदारी मांगी और शिकायतों (Kanpur News) को दबाने का काम किया। इतना ही नहीं, वह दुबे के अन्य आपराधिक कारनामों—जैसे फर्जी दुष्कर्म केस दर्ज कराकर वसूली करना, जमीन कब्जाना और ब्लैकमेलिंग—में भी प्रत्यक्ष रूप से शामिल था।
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिनसे दुबे के भाई सर्वेश और भतीजी सौम्या जैसे फरार सदस्यों तक पहुंच बनाई जा सकती है।
गिरफ्तारी के बाद सभाजीत का बयान
गिरफ्तारी के बाद सभाजीत मिश्रा ने आरोप लगाया कि उन्होंने बड़े अधिकारियों के आदेश का पालन किया था। उन्होंने एक आईपीएस अधिकारी का नाम लेते हुए कहा कि उनके दबाव में उन्होंने वक्फ की जमीन पर कब्जा कराने में मदद की।
Kanpur News:फर्जी केस में फंसाने का खेल
गौरतलब है कि अगस्त 2025 में अखिलेश दुबे को भाजपा नेता रवि सतीजा से 50 लाख रुपये वसूलने और उन्हें फर्जी दुष्कर्म केस में फंसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दुबे का गिरोह बिहार-झारखंड से महिलाओं को बुलाकर नेताओं और कारोबारियों को झूठे मामलों में फंसाता और ब्लैकमेल करता था।
अब तक एसआईटी (Kanpur News) को दुबे गैंग के खिलाफ 54 से अधिक शिकायतें मिल चुकी हैं। जांच में तीन सीओ—ऋषिकांत शुक्ला, विकास पांडेय, संतोष सिंह—सहित इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी, नीरज ओझा और केडीए के दो कर्मचारियों का नाम भी सामने आया है। सभी को नोटिस भेजे जा चुके हैं।
इस प्रकरण में अब तक चार इंस्पेक्टर और दो दारोगा निलंबित हो चुके हैं, जो दुबे के दरबार में नियमित रूप से हाजिरी देते थे। सभाजीत मिश्रा की गिरफ्तारी ने न सिर्फ अपराध जगत, बल्कि पुलिस विभाग में भी हड़कंप मचा दिया है। वहीं, पीड़ितों की संख्या बढ़ने के साथ एसआईटी ने दुबे के करोड़ों के लेन-देन, निर्माण कारोबार और सफेदपोशों से संबंधों की जांच और तेज कर दी है।