Kashi Station: वाराणसी के काशी स्टेशन पर बीते 14 अगस्त की रात मासूम को अगवा कर उसकी हत्या करने के मामले में पुलिस ने खुलासा किया है। डीसीपी काशी जों रामसेवक गौतम ने इस प्रकरण के मुख्य आरोपी बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले संजय बनवासी उर्फ़ पंडित (35 वर्ष) को गिरफ्तार करते हुए मीडिया के समक्ष पेश किया। जिसके बाद उसे न्यायालय में प्रस्तुत करते हुए कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया। पुलिस ने आरोपित के पास से बच्ची के अंत:वस्त्र व खून से सने वस्त्र (आरोपी ने जो घटना के समय पहना था) बरामद किया है।
पुलिस से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मुगलसराय चंदौली के रहने वाले पारस बनवासी महुआ के पत्ते बेचने का काम करते हैं। वे 14 अगस्त की रात को अपनी पत्नी व पांच वर्षीय बच्ची के साथ काशी स्टेशन (Kashi Station) के प्लेटफार्म नं० 3 पर सो रहे थे। इसी दौरान संजय बनवासी ने बच्ची का वहां से अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर उसका शव झाड़ियों में फेंक दिया।
रात्रि दो बजे जब बच्ची का पिता जागा, तो देखा कि बच्ची गायब थी। बच्ची की काफी खोजबीन की गई, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। तत्काल इसकी सूचना जीआरपी व रेलवे पुलिस को दी गई। उन्होंने भी अपने स्तर से बच्ची की खोज की, लेकिन कहीं पता नहीं चला।

Kashi Station: 15 अगस्त की सुबह झाड़ियों में मिला बच्ची का शव
अगले दिन 15 अगस्त की सुबह काशी स्टेशन (Kashi Station) के पास झाड़ियों में एक बच्ची का शव मिला, जिसके बाद सनसनी फ़ैल गई। सूचना पर आदमपुर थाने की पुलिस पहुंची। साथ ही डॉग स्क्वायड व फील्ड यूनिट को सूचित किया गया। इसके बाद इस प्रकरण से जुड़े सभी सबूत इकठ्ठा किए गए। पुलिस ने शुरुआती जांच में पहले अज्ञात व्यक्ति द्वारा हत्या का मुकदमा दर्ज किया था। शव के पोस्टमार्टम के बाद दुष्कर्म की पुष्टि होने पर पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया।
घटना के बाद से पुलिस आरोपी की धरपकड़ में लगी हुई थी। पुलिस ने इस प्रकरण में शक के आधार पर सीसीटीवी फूटेज चेक करने के बाद आठ लोगों के डीएनए सैंपल लिए थे। जिसे फोरेंसिक लैब भिजवाया था।
पुलिस ने आरोपी को गुरुवार को गिरफ्तार किया। जिसके बाद उसने पुलिस की पूछताछ में जो बताया, वह बयान काफी चौंकाने वाला था। गिरफ्तार संजय बनवासी ने बताया कि उसने बच्ची के पिता से बदला लेने के इरादे से बच्ची के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी हत्या की। बताया कि बच्ची का पिता पारस बनवासी अक्सर उसे अपने साथियों द्वारा पत्ता बेचने में परेशान किया करता था। उसका पैसा, मोबाइल तक छीन लेता था। जिसके कारण वह परेशान रहता था। उसने बदला लेने की नियत से इस जघन्य घटना (Kashi Station) को अंजाम दिया। डीसीपी काशी जोन रामसेवक गौतम ने घटना का सफल अनावरण करने वाली टीम को 20 हजार रुपए नगद से सम्मानित करने का ऐलान किया है।
क्या कहता है रेलवे मैन्युअल
घटना के खुलासे के बाद संभवत: बच्ची के परिवार को न्याय मिलने की आस है। लेकिन इस घटना के बाद से रेलवे के अधिकारियों (Kashi Station) पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। रेलवे मैनुअल के अनुसार, जब कभी कोई व्यक्ति स्टेशन पर जाता है, तो उसके पास कहीं यात्रा का टिकट अथवा प्लेटफार्म टिकट होना अनिवार्य है। दोनों में से कोई भी टिकट न होने की अवस्था में रेलवे उक्त व्यक्ति को कस्टडी में लेकर उसकी जांच कर सकता है।
मामला संदिग्ध होने पर जीआरपी, आरपीएफ व स्टेशन अधीक्षक उसके पर उचित कार्यवाही कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, दोना पत्तल बेचने वाला परिवार पिछले कई दिनों से स्टेशन (Kashi Station) पर रहकर अपना जीवन-यापन करता था। दिन में वे लोग दोना-पत्तल बेचने के लिए निकल जाते थे और रात होते ही वे स्टेशन को ही अपना घर बना लेते थे। बावजूद इसके घटना होने से पहले तक रेलवे के अधिकारियों की उनपर नजर क्यों नहीं गई? यह एक यक्ष प्रश्न है।