श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) पर बाबा विश्वनाथ के साथ ही लड्डू गोपाल के भी दर्शन हो रहे हैं। वहीँ बाबा का भी कृष्ण स्वरुप में दर्शन हो रहा है। काशी विश्वनाथ गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ के भगवान श्रीकृष्ण भी मौजूद हैं।

रात 12 बजे जैसे ही जगत जगत के तारणहार का जन्म हुआ, पूरा विश्वनाथ धाम ‘जय कन्हैया लाल की’ के भाव से गूंज उठा। भक्तों ने एक साथ बाबा विश्वनाथ व कान्हा के दर्शन किये। आधी रात बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती के साक्षी भगवान कृष्ण भी बने। आरती के बाद बाबा के कपाट खुले, तो हरी और हर ने एक साथ भक्तों को दर्शन दिए। मंगला आरती की लाइव स्ट्रीमिंग भी की गयी।

बाबा विश्वनाथ के बगल में कान्हा की मनमोहक छवि के दर्शन कर भक्त निहाल हो रहे थे। श्री काशी विश्वनाथ धाम में जन्माष्टमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सायंकाल से ही भजन-कीर्तन का दौर जारी रहा। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं धार्मिक अनुष्ठान और विधिविधान से पूजन-अर्चन हुआ। धाम में रात 12 जगत के पालनहार श्री हरि ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया। इसके साथ ही धाम जय कन्हैया लाल की के उद्घोष से गूंज उठा।

Janmashtami: शिव ने परछाई में देखी कन्हैया की छवि
शास्त्रों के मुताबिक, जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तो भगवान शिव स्वयं कन्हैया के बाल स्वरुप का दर्शन करने आए थे। हालांकि मैया यशोदा ने उनसे विनती किया कि आप कन्हैया को सीधे नहीं बल्कि पानी में परछाई देखिए, नहीं तो आपका भयंकर रूप देखकर बच्चा डर जाएगा। ऐसे में भगवान ने पानी में श्रीकृष्ण की परछाई देखी थी। आज फिर से मंदिर में उसी परंपरा की शुरुआत की गई है।

वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि ये परंपरा अब हर साल बड़े उत्साह से मनाई जाएगी। कमिश्नर ने कहा कि बाबा विश्वनाथ मंदिर में जो भी परंपरा पिछले कुछ साल में बंद हो गई थी, अब उन सबको फिर से शुरू किया जा रहा है।

