केरल (Kerala) के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार को विधानसभा में राज्य ने अत्यधिक गरीबी से मुक्त होने की औपचारिक घोषणा की है। इसके साथ ही लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) सरकार का दावा है कि केरल ऐसा करने वाला भारत का सबसे पहला राज्य है।
आपको बता दें कि पिनाराई सरकार ने राज्य से अत्यधिक गरीबी हटाने के लिए 2021 में अत्यधिक गरीबी उन्मूलन परियोजना (EPAP) शुरू की थी। इसके तहत करीब 64,006 परिवारों की पहचान की गई थी। सरकार का दावा है कि 4 सालों के दौरान इन परिवारों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाल लिया गया है।
X पर किया था पोस्ट
केरल (Kerala) के मुख्यामंत्री ने 25 अक्टूबर को X पर कहा था कि राज्य अत्यधिक गरीबी से मुक्त हो गया है। उन्होंने कहा कि 1 नवंबर को केरल पिरवी या स्थापना दिवस के अवसर पर विधानसभा के विशेष सत्र में वह इसकी घोषणा करेंगे।
उन्होंने आगे कहा था कि 1,000 करोड़ से अधिक के निवेश के साथ राज्य सरकार ने अत्यधिक गरीबी (Kerala) से जूझ रहे परिवारों को हर रोज खाना, स्वास्थ्य सेवाएं, घर, जरूरी दस्तावेज जैसे राशन कार्ड, आधार, पेंशन और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए।
विपक्ष ने सदन का किया बहिष्कार
मुख्मंत्री पिनाराई (Kerala) का दावा फ्रॉड कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) ने पिनाराई सरकार के दावे को धोखाधड़ी करार दिया है। विपक्ष ने सरकार के विरोध में शनिवार को विशेष सत्र का बहिष्कार किया। जैसे ही विधानसभा का विशेष सत्र शुरू हुआ, तो सभी विपक्षी विधायक सदन से बाहर चले गए।
Kerala सीएम ने विपक्षियों पर साधा निशाना
केरल विधानसभा (Kerala) में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि नियम 300 के तहत मुख्यमंत्री का बयान गलत और सदन के नियमों के खिलाफ है। विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि हम केवल वही कहते हैं जो हम लागू कर सकते हैं। हमने जो कहा था, उसे लागू किया है। विपक्षी नेता को यही हमारा जवाब है।
अत्यधिक गरीब लोगों की आय रोजाना 257 से कम वर्ल्ड बैंक की जून 2025 की परिभाषा के तहत, जिन लोगों की आय प्रतिदिन 3 अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹257) से कम हैं, उन्हें अत्यधिक गरीब माना जाता है। पहले यह सीमा $2.15 (लगभग ₹178) प्रतिदिन थी।
देश का अत्यधिक गरीबी दर रहा 27.1%
भारत में पिछले 11 सालों के दौरान लगभग 269 मिलियन अत्यधिक गरीबी से बाहर निकल पाएं हैं। वही 2011-12 में देश की अत्यधिक गरीबी दर 27.1% थी, जो 2022-23 में घटकर सिर्फ 5.3% रह गई है।
केरल (Kerala) ने मानवीय गरिमा को गरीबी का आधार बनाया केरल सरकार के मुताबिक, राज्य को अत्यंत गरीबी से बाहर निकालने की शुरुआत 2021 में हुई। सरकार ने इसके लिए भोजन, आय, स्वास्थ्य और आवास को आधार बनाया और इसे ‘मानवीय गरिमा’ नाम दिया। इसमें सामाजिक संगठनों की मदद ली गई।
राज्य सरकार (Kerala) ने 1300 सर्वेयर की टीम 14 जिलों में उतारीं। जिनके परिवारों के पास भोजन, स्वास्थ्य, आय और आवास नहीं थे, उन्हें चुनने का टास्क दिया गया। वार्डों/डिवीजनों से भागीदारी नामांकन, उप-समितियों द्वारा शॉर्ट लिस्टिंग, एक मोबाइल एप का इस्तेमाल करके साक्षात्कार और ग्राम सभाओं द्वारा अंत तक अंतिम सत्यापन किया गया।
साथ ही टीमों ने ग्राम सभाओं, फोकस ग्रुप डिस्कशन में ऐसे 1,03,099 लोगों को खोज निकाला। 81% ग्रामीण इलाकों में रहते थे। 68% अकेले जी रहे थे। 24% को स्वास्थ्य समस्याएं, 21% को भोजन और 15% को घर की कमी थी। जिसको देखते हुए सख्त निगरानी के साथ सामाजिक ऑडिट शुरू हुआ। केरल में 73 हजार माइक्रो प्लान बनाए। शुरुआत कोट्टायम जिले (Kerela) के 978 माइक्रो प्लान से की गई थी।

