Kite Festival : मकर संक्रांति पर्व भले ही मुहूर्त के अनुसार 15 जनवरी को मनाया जाएगा लेकिन बनारस में 14 जनवरी रविवार को ही जमकर पतंगबाजी हुई। इस साल मकर संक्रांति पर राम मंदिर का खास क्रेज देखने को मिला। वाराणसी की बनी पतंगे की खास पहचान होती है। वाराणसी के पतंग [Kite Festival] कारीगर हर साल नई डिजाइन की पतंगे बनाकर पतंगबाजों का ध्यान खींचने का प्रयास करते हैं।

इसी तर्ज पर इस साल अनूठी मिसाल कायम करते हुए बच्चों ने पतंगबाजों के लिए खास तौर पर पतंग तैयार की थी, जिसमें पहले से तैयार पतंगों पर राम मंदिर, अयोध्या की प्रतिकृति के साथ ही रामचरितमानस की चौपाई को लिपिबद्ध किया।

Kite Festival : इन पतंगों ने दिए खास सन्देश
आकाश में उड़ते हुए पतंगों ने लोगों को मकर संक्रांति पर [Kite Festival] खास सन्देश दी। पतंगों पर विद्या प्राप्ति के लिए ‘गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई, अल्पकाल विद्या सब आई’, ज्ञान प्राप्ति के लिए ‘छिति जल पावक गगन समीरा, पंचरचित अति अधम शरीरा’, विपत्ति से रक्षा के लिए ‘राजिव नयन धरैधनु सायक, भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक’ चौपाइयां लिखी हुई थी। मानस की चौपाइयां लिखी पतंग [Kite Festival] तैयार करने वाले ये बच्चें कभी शहर के फुटपाथ चौराहों पर भीख मांगते थे लेकिन आज के दौर में उर्मिला देवी मेमोरियल सोसाइटी द्वारा संचालित पाठशाला में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।

सबसे खास बात यह है कि मजहब की दीवार को तोड़कर हिन्दू-मुस्लिम बच्चे न सिर्फ रामचरितमानस की चौपाई वाली पतंग तैयार कर रहे बल्कि पाठशाला में एक साथ संस्कृत के श्लोक के साथ वेदों का पाठ भी करते हैं। 22 जनवरी रामलला प्राण प्रतिष्ठा के दिन हवन-पूजन यज्ञ अनुष्ठान के साथ दीपोत्सव की तैयारी में भी लगे हुए हैं। संस्था की निदेशिका प्रतिभा सिंह ने बताया कि कहते हैं जिस घर में रामचरितमानस का पाठ होता है वहां कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती। कुछ चौपाइयां ऐसी हैं जिनसे मनचाही कामनाएं पूरी हो जाती हैं।