Maharashtra Election Analysis: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। भाजपा के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार के लिए यह चुनाव जहां सत्ता बचाने की चुनौती है, वहीं शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के लिए यह अपने अस्तित्व की लड़ाई है। कांग्रेस और एनसीपी भी इस चुनावी समर में पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं। इस बार की चुनावी जंग किस दिशा में जाएगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा और एनसीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन तीन दिन बाद तख्तापलट हो गया, और शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने सत्ता पर कब्जा कि“या। हालांकि, भाजपा ने जल्द ही अपनी राजनीति चालों से वापसी की, और देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में फिर से सरकार बनाई। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री का पद संभाला, जिससे भाजपा की रणनीति सफल रही।
महाराष्ट्र की जनता पिछले पांच वर्षों में लगातार सत्ता में बदलाव और राजनीतिक अस्थिरता का सामना करती रही है, जो राज्य की राजनीति में पहले कभी नहीं देखा गया था। अब जब चुनावी मौसम फिर से आ चुका है, राज्य की जनता यह तय करेगी कि वह इस बार किसे चुनती है। 20 नवंबर को 288 सीटों के लिए एक चरण में मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे।
Maharashtra Election Analysis: भाजपा ने जारी की 99 उम्मीदवारों की लिस्ट
इस बार भाजपा ने 99 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की है, जिसमें 79 पुराने चेहरे, 13 महिलाएं और 10 मंत्री शामिल हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर दक्षिण-पश्चिम से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, विपक्षी दलों ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की सूची का खुलासा नहीं किया है, जिससे राज्य की चुनावी तस्वीर धुंधली बनी हुई है।
विपक्षी दलों ने झोंकी ताकत
विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT), ने भाजपा को शिकस्त देने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। हालांकि, सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और शिवसेना के बीच तनातनी चल रही है, जिससे उद्धव ठाकरे सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति बना रहे हैं।
भाजपा के लिए चुनौती भरी राह
महाराष्ट्र में सत्ता विरोधी लहर और कई दलों के बीच वोट बंटवारे की चुनौती भाजपा के लिए इस बार राह आसान नहीं होगी। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह चुनाव भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस की कड़ी परीक्षा साबित हो सकता है। वहीं, विपक्षी दल सत्ता में वापसी के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।