- शिव-सती के महामिलन का पर्व है महाशिवरात्रि
- शिव का करें दर्शन-पूजन, रखें व्रत, होगी मनोकामनाएं पूरी
- रात्रि जागरण से मिलेगी अलौकिक आत्मिक शांति
राधेश्याम कमल
भारतीय संस्कृति में हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा,विष्णु व महेश त्रिदेवों में भगवान शिव सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के पालनहार, अकाल मृत्युहर्ता तथा सर्वसिद्धिदाता माने गये हैं। भगवान शिव की महिमा में फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व हर्ष व उल्लास के साथ मनाने की परम्परा है। शिवमहापुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष की कन्या सती का विवाह भगवान शिव से इसी दिन हुआ था। पौराणिक मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि के दिन निशा बेला में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में अवतरित हुए थे। जिसके फलस्वरूप महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। प्रख्यात ज्योतिषविद् पं. विमल जैन के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी शनिवार की रात्रि 8.03 मिनट पर लगेगी जो अगले दिन 19 फरवरी रविवार को दिन में 4.19 मिनट तक रहेगी। चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी तिथि (महानिशीथ काल रात्रि 11.43 मिनट से 12.33 मिनट तक)में मध्य रात्रि में भगवान शिव की पूजा विशेष पुण्य फलदायी होती है। महाशिवरात्रि से ही प्रत्येक माह हर मासिक शिवरात्रि का व्रत प्रारंभ किया जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के व्रत से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शिव आराधना का विधान
व्रतकर्ता को चतुर्दशी तिथि के दिन व्रत-उपवास रखकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। त्रयोदशी तिथि के दिन एक बार सात्विक भोजन करना चाहिए। व्रतकर्ता को तिल, विल्वपत्र व खीर से हवन करने पश्चात अपने व्रत का पारण करना चाहिए।
क्या करें भगवान शिव को अर्पित-
पं. विमल जैन के अनुसार भगवान शिव का दूध व जल से अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, चंदन, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुंगधित द्रव्य के साथ विल्वपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतु पुष्प, नैवेद्य अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूर्वाविमुख या उत्ताराविमुख होकर पूजा करनी चाहिए। शिव भक्त अपने ललाट पर भस्म और तिलक लगा कर शिव की पूजा करें। इससे पूजा का विशेष फल मिलता है।
मनोकामना की पूर्ति के लिए रात्रि के चारों पहर करें विशेष पूजा
प्रथम प्रहर- भगवान शिव का दूध से अभिषेक करें एवं ऊॅ ह्र७ी ईशाय नम: मंत्र का जप करें।
द्वितीय प्रहर- भगवान शिव का दही से अभिषेक करें एवं ऊॅ ह्री अघोराय नम: का जप करें।
तृतीय प्रहर- भगवान शिव का का शुद्ध देशी घी से अभिषेक करें। साथ ही ऊॅ ह्री वामदेवाय नम: का जप करें।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कौन सा करें पाठ-
भगवान शिव की महिमा में शिव चालीसा, शिव स्तुति, शिव सहस्त्रनाम, शिव महिम्न स्तोत्र, शिव तांडव स्तोत्र, रूदष्टक, शिवपुराण का पाठ करना चाहिए। शिव जी के प्रिय पंचाक्षर मंत्र ऊॅ नमऋ शिवाय का मानसिक जप करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार ऊॅ नम: शिवाय शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ऊॅ इस मंत्र के जप से सर्वाधिक कल्याण होता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर शिव की पूजा-अर्चना करके रात्रि जागरण करने पर ही व्रत पूर्ण फलदायी माना जाता है। व्रत के दिन अपनी दिनचर्या नियमित व संयमित रखते हुए भगवान शिव की पूजा-अर्चना करके विशेष पुण्य लाभ उठाना चाहिए। महाशिवरात्रि से मासिक शिवरात्रि का व्रत प्रारंभ हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि व्रत से सुख-समृद्धि सफलता मिलती है।
राशि के मुताबिक पूजा विशेष फलदायी-
मेष- भगवान शिव की पूजा गुलाल से करें। ऊॅ ममलेश्वराय नम: मंत्र का जप करें। लाल वस्त्र, लाल चंदन, गेहूं, गुड़, तांबा, लालफूल आदि का दान करें।
वृषभ- शिव का अभिषेक दूध से करें। ऊॅ नागेश्वराय नम: मंत्र का जप करें। सफेद फूल, सफेद चंदन, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र का दान करें।
मिथुन- शिव का अभिषेक गन्ने के रस से करें। ऊॅ भूतेश्वराय नम: मंत्र का जप करें। मूंग, कस्तूरी, कांसा, हरा वस्त्र, पन्ना, सोना, मूंगा, घी का दान करें।
कर्क- शिव का अभिषेक पंचामृत से करें। महादेव के द्वादश नाम का स्मरण करें। सफेद फूल, सफेद वस्त्र, चावल, चीनी, चांदी, मोती, दही का दान करें।
सिंह- शिव का अभिषेक शहद से करें। ऊॅ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। लाल फूल, लाल वस्त्र, माणिक्य, केशर, तांबा, घी, गेहूं गुड़ का दान करें।
कन्या- शिव का अभिषेक गंगाजल या शुद्ध जल से करें। शिव चालीसा का पाठ करें। हरा फूल, कस्तूरी, कांसा, मूंग, हरा वस्त्र का दान करें।
तुला- शिव का अभिषेक दही से करें। शिवाष्टक का पाठ करें। हरा फूल, कस्तूरी, कांसा, मंूग, हरा वस्त्र घी, हरा फल का दान करें।
वृच्छिक- शिव का अभिषेक दूध व दही से करें। ऊॅ अंगारेश्वराय नम: का जप करें। गेहू, गुड़ तांबा, मूंगा, लाल वस्त्र का दान करें।
धनु- शिव का अभिषेक दूध से करें। ऊॅ रामेश्वराय नम: मंत्र का जप करें। पीला वस्त्र, चने की दाल, हल्दी, पीला फल लाल चंदन मसूर का दान करें।
मकर- शिव का अभिषेक अनार के रस से करें। शिवसहस्त्रनाम का पाठ करें। उड़द, काला तिल, केल, काले वस्त्र, लोहा कस्तूरी का दान करें।
कुंभ- शिव का अभिषेक पंचामृत से करें। ऊॅ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। काले वस्त्र काला तिल उड़द, तिल का तेल छाता का दान करें।
मीन- शिव का अभिषेक ऋतुफल से करें। ऊॅ भौमेश्वराय नम: मंत्र का जप करें। चने की दाल, पीला वसत्र, हल्दी, फूल, पीला फल सोना आदि का दान करें।
