- वैवाहिक समारोहों की धूम
- ढूढ़े नहीं मिल रहे हलवाई व मैरेज लॉन, अगले साल की बुकिंग में व्यस्त मैरेज व्यापारी
जितेंद्र श्रीवास्तव
Marriage Function: शादी-ब्याह का वैवाहिक समारोह सीजन शुरू हो चुका है। शुभ मुहूर्त कम है। जो भी है, उस तारीख को बम्पर शादियां है। ऐसे में अब यदि किसी के लाडले या लाडली की शादी तय हुई है तो उनको अच्छे मैरेज लॉन, कैटरर्स, डेकोरेशन, हलवाई, डीजे वाले ढूढ़े नहीं मिल रहे हैं। चूंकि 14 दिसम्बर तक ही वैवाहिक समारोह के आधा दर्जन ही शुभ मुहूर्त निकले हैं। जनवरी, फरवरी, मार्च ही नहीं अप्रैल तक के शुभ मुर्हूत वाली तिथियों को नामचीन लॉन और वैंक्वेट हॉल पहले से ही बुक हो चुके हैं।
चार दिसम्बर को लग्न [Marriage Function] इतनी तगड़ी है कि चार हजार से अधिक शादियां उस तारीख को हैं। इस तारीख के लिए शहर और देहात के सभी लॉन, वैंक्वेट हॉल बुक है। आगे की तारीखों के लिए हाउसफुल का बोर्ड टंगा हुआ है। ऐसे में बुकिंग को लेकर हाय-तौब्बा मची हुई है। यहीं नहीं, दुल्हे को मनपसंद वाहन देने के लिए लकड़ी वालों को सर्द मौसम में भी पसीने छूट रहे हैं, क्योंकि ऐसे वाहनों के बुकिंग की लंबी कतार लगी है।
वैवाहिक समारोह [Marriage Function] बाजार से जुड़े लोगों की मानें तो शहर के प्रमुख मैरिज हालों, वैक्वेंट हाल, बैंडबाजा, कैटरर्स, टेंट, आतिशबाजी, लाइटिंग, डेकोरेटर्स, ब्यूटी पॉर्लर, हलवाई, बग्घी, डीजे आदि की बुकिंग हो चुकी है। दिसम्बर में तीन, चार, सात, आठ, नौ, 13 व 14 तारीख को सर्वोत्तम विवाह मुहूर्त हैं। इन तिथियों में भी मैरिज हाल व बैंडबाजे वाले को खोजना थोड़ा कठिन है, लेकिन शहर के बाहरी इलाकों में भी यही हाल है। ऐसे में लोग अगले साल की लग्न को लेकर लोग ज्यादा उत्साहित हैं। जनवरी और फरवरी के लिए ज्यादा बुकिंग हो रही है।

शादी समारोह [Marriage Function] के चालू सीजन में लगन कम और शादी-विवाह करने वालों की संख्या अधिक होने के कारण ऐसी मारामारी है कि ना सिर्फ मिठाइयों के लिए दूध के लिए बल्कि फूलों की डिमांड के अनुसार सप्लाई नहीं हो पा रही। फूल की तो स्थिति यह है कि डिमांड से 30-35 प्रतिशत से भी कम सप्लाई होने के कारण दीपावली के समय बिकने वाले रेट के मुकाबले अभी दोगुने दाम में फूल बिक रहे हैं।
कमोबेश यही स्थिति लगन [Marriage Function] के इस सीजन के दौरान बैंडबाजे, टेंट-पंडाल, गाड़ी-घोड़ा, हलवाई, डेकोरेटर्स, आतिशबाजी, लाइटिंग, डीजे व कैटरर्स सहित लगन में उपयोग में आने वाले सजावटी सामग्री व अन्य सामान की है। एक-एक लग्न में डबल-ट्रिपल बुकिंग के बावजूद इन सामग्रियों की उपलब्धता आयोजकों के लिए एक समस्या बनी है।
मैरेज समारोहों [Marriage Function] से जुड़े कारोबारियों की माने तो मैरिज हालों की बुकिंग दिसम्बर ही नहीं जनवरी और फरवरी तक विवाह समारोहों के लिए लगभग हो चुकी है। मार्च और अप्रैल के लिए बुकिंग अंतिम दौर में गई है। मैरेज हाल ही नहीं टेंट, कैटरर्स आदि का भी कमोवेश यहीं हाल है। किराए पर मिलने वाले दुल्हन सेट भी बुक हो चुके हैं। अब तो अगले साल के लिए भी बुकिंग होने लगी है। पंड़ितों का कहना है कि 16 दिसम्बर को सूर्य के धनु राशि में आने से खरमास शुरू हो जाएगा। इस दौरान शादियां नहीं होतीं। ऐसे में अगले साल मकर संक्रांति के बाद 18 जनवरी से फिर से विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
Marriage Function: एक दिन में दो शिफ्ट में हुई है बुकिंग
बैंडबाजा वाले हो या फिर आतिशबाजी, लाइटिंग, डेकोटर्स, कैटरर्स, कार-बग्घी, ब्यूटी पॉर्लर, डीजे आदि संचालकों ने बताया कि दिसम्बर की सभी तिथियों [Marriage Function] के लिए बुकिंग हो गई है। जबकि अगले वर्ष जनवरी और फरवरी की प्रमुख तिथियों के लिए भी बुकिंग फुल हो गई है। इस सीजन में तो एक तिथि के लिए दो शिफ्ट की भी बुकिंग की गई है। मार्च और अप्रैल के लिए बुकिंग चल रही है।

शहनाईवादकों हो गए लगभग बेरोजगार
एक ओर जहां शादियों [Marriage Function] में बैंडबाजा, ढोल-ताशा को लेकर मारामारी है तो दूसरी ओर अब शादी-विवाह में शहनाई की गूंज सुनाई ही नहीं पड़ रही। लोगों का रुझान इस तरफ घटने लगा है। इससे शहनाई बजाने वाले आर्थिक संकट में हैं। शहनाई वादकों की मानें तो एक समय वह था जब शादी-समारोह में शहनाई को शुभ माना जाता था। शादियों के एक-एक रस्म के दौरान पग-पग पर शहनाई वालों की जरुरत महसूस की जाती थी। लेकिन अब तो शादी-समारोह भी तड़क-भड़क वाला हो गया है। अब तो इन समारोहों में शहनाई की जगह ढोल-तासा की पूछ बढ़ी है।
फूलों की बुकिंग भी हाउसफुल
लग्न के कम मुहूर्त के कारण एक ही दिन बड़ी संख्या में डिमांड के अनुसार फूलों की पूर्ति संभव नहीं हो पा रही है। हालांकि क्षेत्रीय स्तर पर भी कुछ गेंदा के फूलों की आपूर्ति कराई जाती है लेकिन गेंदा व अन्य फूलों को हावड़ा से मंगाए जाते हैं। फूल का थोक कारोबारियों की मानें तो गेंदा और अन्य फूल पश्चिम बंगाल के हावड़ा और राणा घाट से मंगाते हैं। लेकिन डिमांड के अनुरूप इसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है। शादियों को लेकर फूलों की बुकिंग फुल है।
शादी-समारोह का बजट भी बढ़ा
शादियों [Marriage Function] में सजावट, कैटरिंग, बैंडबाजा से लेकर हर उस आइटम के, जिनकी इस समारोह में दरकार होती है, खर्च में 30 से 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई है। इसका नतीजा है कि शादी-समारोह का बजट भी बढ़ गया है। ऐसे में लोग या तो बजट में कटौती कर रहे हैं या फिर डेस्टिनेशन वेडिंग में सीमित लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं। ताजा हालात में शादियों में सहागल आइटमों के अलावा व्यवसायिक सिलिंडर से लेकर किराना, सब्जी और फलों के दाम आसमान छू रहे हैं। एक शादी में आमतौर पर आठ से 10 सिलिंडर लग जाते हैं।
इसके अलावा किराना, फल, सब्जी, दूध, दही, पनीर के दाम 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। कैटरिंग में ठेका व्यवस्था होती है, जिसके तहत कैटरिंग संचालक को स्वयं ही सामान की व्यवस्था कर तरह-तरह के व्यंजन तैयार करवाना होता है। इसमें उन्हें मजदूरों और सामान की ढुलाई के लिए लोडिंग वाहन की जरूरत भी होती है।
स्नैक्स, चॉट, गोलगप्पा, मंचूरियन, मैगी के अलावा पनीर की सब्जी, मिक्स वेज, छोले या दम आलू, चावल, दही बड़ा, पुड़ी, तंदूरी रोटी, सलाद, पापड़, मिठाई, केसर दूध, लौंग व इलायची वाला कहवा, अदरक और मसाले वाली कुल्हड़ की चाय, गुलाब, केसर हलवा, मूंग हलवा, सूजी हलवा, कुल्फी, आइसक्रीम वाली प्लेट आदि के दाम काफी बढ़ गए हैं। शादियों [Marriage Function] के व्यापार से जुड़े लोगों का कहना है कि अभी शादियों का खर्चा पिछले दो सालों में दोगुना हो गया है।
Highlights
डीजे और ढोल-ताशे के चलते कारोबार हुआ मंदा
बिना बैंड के बारात [Marriage Function] की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, लेकिन महंगाई ने बैंड बाजार पर भी मार की है। बैंड संचालकों के अनुसार बारातों में डीजे और ढोल-ताशे के बढ़ते चलन से उनके कारोबार पर असर पड़ा है। एक जमाना था, जब एक बारात में दो से तीन तरह के बैंडबाजे हुआ करते थे, लेकिन डीजे और ढोल-ताशे की लगातार बढ़ती डिमांड के चलते बैंडबाजा कारोबार डाउन हुआ है। चूंकि डीजे के साथ लाइटिंग का भी पैकेज होता है, इसलिए बैंडबाजे की पूछ भी घटी है। अब लोग एक ही बैंडबाजे से काम चला ले रहे हैं।