वाराणसी (Varanasi) के कैंट इलाके में सोमवार तड़के मीट मार्केट में एक भयावह आग ने दहशत मचा दी। आग की लपटों ने सात दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया, जबकि छह मोटरसाइकिलें जलकर खाक हो गईं। सबसे डरावना था छह गैस सिलेंडरों का एक के बाद एक फटना, जिनके तेज धमाकों ने आसपास के लोगों में खौफ पैदा कर दिया।
Varanasi: धमाकों से मची अफरा-तफरी
आग की शुरुआत सुबह-सुबह किचन में रखे सिलेंडरों से हुई। जैसे ही सिलेंडर फटने शुरू हुए, मार्केट में काम कर रहे कर्मचारी और आसपास के लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे। तेज धमाकों की आवाज से कई लोग अपने घर-दुकान छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की ओर दौड़े। एक साहसी दुकानदार ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद कैंट थाने की पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचीं।
तीन फायर टेंडरों (Varanasi) ने करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। फटते सिलेंडरों ने फायर कर्मियों के लिए चुनौती बढ़ा दी, लेकिन उनकी सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया। कैंट इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्रा ने बताया, “छह सिलेंडरों के धमाकों ने आग को और भयानक बना दिया था। सौभाग्य से कोई जनहानि नहीं हुई। आग लगने के कारणों की जांच जारी है।”

आग से बचाव के इंतजामों की कमी
जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई कि प्रभावित दुकानों—पवन अग्रहरि, रसीद अहमद, इरशाद कुरैशी, रमाकांत उपाध्याय और अविनाश की दुकानों—में आग से बचाव का कोई इंतजाम नहीं था। न तो अग्निशमन यंत्र थे, न ही बिजली के बोर्ड में एमसीबी लगे थे। जर्जर बिजली सप्लाई ने भी आग को भड़काने में भूमिका निभाई। मार्केट में रखे छह से अधिक कॉमर्शियल सिलेंडरों के धमाकों ने स्थिति को और खतरनाक बना दिया, जिनके टुकड़े दूर-दूर तक बिखर गए।

लाखों का नुकसान, लापरवाही पर सवाल
आग ने मार्केट के पीछे बाइक मैकेनिक तहब्बर की दुकान को भी नहीं बख्शा, जहां रिपेयरिंग के लिए रखी 9-10 मोटरसाइकिलें जल गईं। ये दुकानें छावनी परिषद द्वारा आवंटित थीं, लेकिन प्रशासन (Varanasi) की लापरवाही भी उजागर हुई। पास में ही 39 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर होने के बावजूद सुरक्षा मानकों पर ध्यान नहीं दिया गया। हैरानी की बात यह रही कि स्थानीय चौकी इंचार्ज को घटना की जानकारी तक नहीं थी।

पुलिस और प्रशासन (Varanasi) अब आग के कारणों की गहन जांच में जुटे हैं। इस हादसे ने एक बार फिर व्यावसायिक स्थानों पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी का मुद्दा उठा दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते अग्निशमन उपाय और बेहतर बिजली व्यवस्था होती, तो शायद यह हादसा इतना भयावह न होता। फिलहाल, मलबा हटाने और नुकसान का आकलन करने का काम जारी है।

