वाराणसी। काशी में मौनी अमावस्या पर लाखों लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई। कड़ाके की ठंड और हलकी बूंदाबांदी के बीच शनिवार को गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही। मौनी मावस्या पर गंगा में स्नान और दान का विशेष महत्त्व माना गया है। प्रात: 4 बजे से ही लोग अपने घरों से निकल कर घाटों की ओर चल पड़े। वहीँ पूर्वांचल, बिहार और यूपी के कई राज्यों के लोगों ने काशी में गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।
गंगा में स्नान के बाद लोग दान-पुण्य करते हुए अपने घरों की ओर लौटे। इस दौरान जल पुलिस से लेकर सुरक्षाबलों की चप्पे-चप्पे पर अलर्ट रही। पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतेज़ाम कर रखे थे। गंगा घाटों पर बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी। लोग भजन गाते-गाते घाटों तक पहुंचे। कई घाटों पर तो पांव रखने तक की जगह नहीं मिली।

ये है मान्यता
मौनी अमावस्या के दिन स्नान के दौरान मौन रहा जाता है। हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार, इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। मनु शब् से ही मौनी बना है, इसलिए इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। पितृ दोश से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का काफी महत्त्व होता है। यह दिन स्नान, दान, तर्पण आदि के लिए विशेष माना गया है। इस दिन दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इस दिन स्नान के बाद लोग काला तिल, गरम कपड़े, कंबल, तेल, जूते आदि का दान करते हैं। माना जाता है कि दान करने से ग्रहों से जुड़े दोष भी दूर हो जाते हैं।
