- मौन रख कर दान करने से मिलता है दुगना पुण्य
- प्रयागराज के अलावा काशी के दशाश्वमेधघाट पर भी उमड़ेगी भीड़
- 21 को श्रद्धालु रखेंगे मौन व्रत
राधेश्याम कमल
वाराणसी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या के रूप में जानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि मनु ऋषि का जन्म इसी दिन हुआ था। इसके फलस्वरूप मनु से ही मौनी शब्द की उत्पत्ति मानी गई है। मौनी अमावस्या पर वैसे तो प्रयागराज में स्नान करने का फल बताया गया है लेकिन काशी के दशाश्वमेधघाट पर भी मौनी अमावस्या पर गंगा में डुबकी लगाने का फल श्रद्धालुओं को उतना ही मिलता है। प्रयागराज में माघ मेला को लेकर साधु-संतों व महात्माओं ने वहां पर डेरा व तंबू डाल रखा है। मौनी अमावस्या पर जहां प्रयागराज में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगायेंगे वहीं काशी के दशाश्वमेधघाट समेत अन्य घाटों पर भी श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा कर पुण्य के भागी बनेंगे। बहुत सारे लोग जो माघ मास में प्रयागराज नहीं जा पाते हैं वह काशी में ही रह कर गंगा स्नान कर पुण्य फल की प्राप्ति करते हैं। प्रसिद्ध ज्योतिषविद् पं. विमल जैन के मुताबिक इस दिन मौन धारण करके गंगा स्नान किया जाता है। अगर मौन धारण करके अपने आराध्य देवी देवता की आराधना की जाये तो इसका फल दुगना हो जाता है। मौन धारण करके व्रत का पारण किया जाय तो व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति मिलती है। इसी दिन शनैश्वरी अमावस्या भी पड़ रही है। शनिवार के दिन मौनी अमावस्या का अनूठा संयोग बन रहा है। इस दिन पितृ दोष व कालसर्प दोष निवारण करने का भी विशेष दिन है।
पीपल वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करने से मिलेगी खुशहाली
आज के जिन भगवान शिव, भगवान विष्णु तथा पीपल वृक्ष की भी पूजा करने का विधान है। इस दिन पीपल वृक्ष को जल से सींचन करके 108 बार परिक्रमा करने से खुशहाली मिलती है। पीपल के वृक्ष में भगवान शिव, भगवान विष्णु व ब्रह्मा का वास रहता है। इसलिए भी इस दिन पीपल वृक्ष की परिक्रमा कर उसका सींचन करना चाहिए। इस बार अमावस्या तिथि 20 जनवरी को अर्धरात्रि के पश्चात 6.18 बजे पर लगेगी जो कि अगले दिन शनिवार 21 जनवरी को अर्धरात्रि के पश्चात 2.24 मिनट तक रहेगी। 21 जनवरी को सम्पूर्ण दिन अमावस्या तिथि का मान रहेगा। इस दिन भगवान शिव का रुद्र्राभिषेक व भगवान शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन पितरों की भी पूजा करने के साथ ही उन्हें जल तर्पण किया जाता है।
ब्राह्मणों को करें विविध वस्तुओं का दान
ज्योतिषी आचार्य पं. वेद प्रकाश मिश्र के अनुसार इस दिन ब्राह्मणों को विविध वस्तुओं जैसे चावल, चीनी, मिश्री, दूध व खोवे से बनी मिठाइयां, सफेद वस्त्र, चांदी व अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करना लाभकारी रहता है। भूदेवों का चरणस्पर्श करके उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। किसी भी कारणवश यदि ब्राह्मणों को घर पर न बुला सकें तो इस स्थिति में उन्हें भोजन सामग्री व दक्षिणा देने से फल की प्राप्ति होती है।