- रोजा के बाद अल्लाह की ओर से खुशी का पैगाम है ईद
- रमजान मेंखजूर से रोजा खोलना रोजेदारों के लिए सुन्नत
साल के बारह महीनों में रमजान का महीना मुसलमानों के लिए खास मायने रखता है। यह महीना संयम और समर्पण के साथ खुदा की इबादत का महीना माना जाता है, जिसमें हर आदमी अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है।
वाराणसी। माह-ए-रमजान को को अल्लाह की रहमतों का महीना कहा जाता है, पूरी साल शिद्दत के साथ हर मुसलमान इस पाक महीने का इंतजार करता है। माह-ए-रमजान में पूरे एक माह तक कड़े नियमों का पालन करते हुए रोजे रखे जाते हैं, और अल्लाह की इबादत की जाती है। पूरे महीने को 10-10 दिनों के तीन हिस्सों में बांट इन्हें पहला अशरा, दूसरा अशरा और तीसरा अशरा कहा जाता है, हर अशरे का अलग महत्व माना गया है। पहला अशरा अल्लाह की रहमत का माना गया है, दूसरा अशरा गुनाहों की माफी का, और तीसरा अशरा जहन्नम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है।
मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने बताया कि अल्लाह का पाक महीना माह-ए-रमजान है, रमजान प्रत्येक मुसलमान को रखना चाहिए, रोजा ऊपर वाले की ओर से बख्शा गया ऐसा फर्ज है जिससे कई गुनाहों की माफी होती है।
हर साल माह-ए-रमजान देखना एक सौगात
मुस्लिम बुजुर्ग महिला कैसर जहां बताती हैं कि जीवन की सबसे बड़ी सौगात है हर साल माह-ए-रमजान दीदार करना, यह अल्लाह का करम है कि उन्होंने हमें इस जीवन को बख्शा जिससे हर साल रोजा रखते हुए ईद मनाने की सौगात मिली।

रोजा रखना अल्लाह के करीब
नाहिद सिद्दीकी बतातीं हैं कि माह-ए-रमजान खुदा के करीब रहने का महीना है, नाहिद बताती हैं कि इस माह में पूरे दिन अल्लाह पाक की इबादत में गुजरता है इसलिए उनके करीब ही रहना हुआ, बताती हैं कि रोजा रखना जीवन में अनजाने में किये गये गुनाहों की माफी मांगना है।

पूरा महीने खुशियों का
मीनू खान बताती हैं कि रमजान एक पाक महीना होने के साथ ही खुशियों के पैगाम भी महीना हैै, इसके लिए साल भर इंतजार होता है, अल्लाह का करम है कि रोजा रखने का मौका मिला।

नन्हें रोजेदार को भी माह-ए-रमजान का इंतजार
नन्हें रोजेदार भी माह-ए-रमजान की बड़ी बेसब्री से सालभर से इंतजार करते हैं, उन्हें रोजा रखना सूकून भरा लगता है। हां यह बात दिगर है कि कुछ रोजा रख पातें है तो कुछ के लिए घरवाले मना कर देते हैं कि अभी आप सब छोटे हैं।
अम्मी के अभी छोटी हो पर कुछ रोजा
नन्हीं मायरा खान बताती हैं कि माह-ए-रमजान को उन्होंने बचपन से सुना है, इसलिए अब यह महीना खुशियों से भरा लगता है। बतातीं हैं कि इस महीने में पूरे घर में एक उत्सव सा माहौल रहता है। पकवान की बात छोड़िये, पूरे महीने रोजा रखने का तो मन करता है लेकिन अम्मी अभी छोटी कर कुछ रोजे ही रखवाती हैं।

बड़ों से ईदी पाकर होते हैं खुश
नन्हें रोजेदार अशद खान बताते हैं कि रोजा रखना उन्हें भी बहुत अच्छा लगता हैं लेकिन अम्मी अब्बू छोटे कहकर कुछ ही रोजा रख पाते हैं। बताया कि इस ईद तो खुशियों वाला दिन है जब सबसे ईदी मिलती है औश्र खूब मजे करते हैं।

एतकाफ का भी विशेष महत्व
बुजुर्ग मोहम्मद अहमद बताते हैं कि वह बचपन से ही रोजा रख रहें हैं, समय के साथ ही उन्होंने एतकाफ भी शुरू कर दिया। इस दौरान वे मस्जिद के किसी कोने में बैठकर अल्लाह की इबादत करते हैं, और खुद को परिवार व दुनिया से अलग कर 10 दिनों तक अल्लाह पाक की इबादत में मशगूल रहते हैं। रमजान के आखिरी 10 दिनों यानी तीसरे अशरे के दौरान एतकाफ की रवायत है, कहा जाता है कि मोहम्मद पैगम्बर भी रमजान के आखिरी दिनों में एतकाफ में बैठा करते थे। तमाम मुसलमान एतकाफ में बैठते हैं,

रमजान में सुन्नत है खजूर
ऐसा माना जाता है कि इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को खजूर बहुत पसंद था है. ये उनका सबसे पसंदीदा फल था. वे भी खजूर खाकर ही रोजा खोलते थे. इसके बाद से ही मुस्लिम इस परंपरा को निभा रहे हैं, रमजान में खजूर खाकर रोजा खोलना सुन्नत माना जाता है। इसके साथ ही स्वाथ्य की दृष्टि से भी खजूर को महत्व दिया जाता है, बताया जाता है कि दिनभर रोजा रखने से एनर्जी का लेवल कम होता है। ऐसे में रोजा खोलते ही खजूर खाने से बॉडी को तुरंत एनर्जी मिलती है। इसके अलावा इफ्तार के दौरान खाई जाने वाली अन्य चीजों को डाइजेस्ट करने में भी खजूर मदद करती है।

बाजार में खजूर की बिक रही हैं 20 वैराइटी
अलमदीना सेवा खजूर नाज सेवई ट्रेडर्स के मोहम्मद नाज का कहना है कि ये पहला मौका नहीं है जब बाजार में खजूर की तमाम वैराइटी मौजूद है, सबसे महंगे अजवा के अलावा सफवी, कलमी, अल रोजा, अलिफ रेहान, फरद, याकूत, अलमदीना, मरीयमी, कीमिया, बूमन, बट, इनसमूर, अलमदीना, किम तमूर, क्राउन, फेलकॉन, डेसर्ट किंग, मस्कट, अरेबियन, सीडलेस आदि पैक्ड खजूर बाजार में बिक रहे हैं। अजवा खजूर एक रेट 26 सौ रुपये किलो बिक रहा है. अजवा के 250 ग्राम पैकेट की कीमत 645 रुपये है।