कथावाचक मोरारी बापू की पत्नी का 12 जून को निधन हो गया था, जिसके महज दो दिन बाद वे 14 जून को काशी (Kashi) पहुंचे और बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन व जलाभिषेक किया। धार्मिक मर्यादा के लिहाज से ‘सूतक काल’ में मंदिर प्रवेश और कथा वाचन को लेकर संत समाज और काशी विद्वत परिषद में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
मैं विशेष ‘मानस क्षमा कथा’ भी कहूंगा- kashi में बोले मोरारी बापू
कथा के पहले ही दिन स्थानीय लोगों ने विरोध स्वरूप पुतला दहन कर नाराजगी जताई। लगातार विरोध बढ़ने के बीच रविवार को मोरारी बापू ने कथा स्थल से सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगते हुए कहा, “यदि मेरी किसी बात या आचरण से किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं क्षमा चाहता हूं। इसके लिए मैं विशेष ‘मानस क्षमा कथा’ भी कहूंगा।” बापू ने आगे कहा कि वे प्रभु की कथा कहने के लिए ही काशी (Kashi) आए हैं और उसी धर्मकार्य में लीन रहेंगे।