Mystery of Pishachamochan Kund : पितरों का पक्ष पितृपक्ष आज से शुरू गया और 15 दिनों के इस पितृपक्ष में लोग अपने पितरों का तर्पण करने लगे हैं। इस दौरान काशी के पिशाचमोचन कुंड पर भी श्रद्धालुओं की चहलकदमी बढ़ गयी है। काशी को मृत्यु के लिए तो ख़ास माना ही जाता है लेकिन काशी के पिशाचमोचन कुंड (Mystery of Pishachamochan Kund) पर लोग अपने परिजनों के आत्मा की शांति के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं।

Highlights
कर्मकांड (Mystery of Pishachamochan Kund) के लिए अजीबो गरीब विधान श्रद्धालुओं के लिए आश्चर्य से कम नहीं हैं। पिशाचमोचन कुंड (Mystery of Pishachamochan Kund) का ये पीपल पेड़ इस मान्यता का साक्षी है कि पेड़ में ठोंके गए असंख्य सिक्के और कील किसी न किसी अतृप्त आत्मा का ठिकाना है।

आइये जानते हैं सिक्के और कील के पीछे की पूरी कहानी
देश का इकलौता शहर जहां अकाल मृत्यु और अतृप्त आत्माओं की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध होता है। पीपल के पेड़ पर सिक्का रखकर पितरों का उधार चुकाया जाता है। पिशाचमोचन कुंड के पीपल के पेड़ से भी कई मान्यताएं जुड़ी हैं।

अतृप्त आत्माओं की साक्षी का ठिकाना
पिशाचमोचन कुंड का अतृप्त आत्माओं की साक्षी का ठिकाना तो है ही इसके साथ ही यहाँ इस पेड़ पर मृत व्यक्ति की तस्वीर और उनके किसी न किसी प्रतीक चिह्न जैसे मृत व्यक्ति के कपड़े, उनके नाम का घड़ा आदि इस बात का साबुत देते हैं। ऐसा माना जाता है कि अकाल मृत्यु से मरने वालों के लिए पिशाचमोचन पर ही मुक्ति का द्वार खुलता है। यहां देश-विदेश से लोग अपने पितरों का तर्पण करने के लिए आते हैं, ताकि पितर सभी बाधाओं से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकें और यजमान भी पितृ ऋण से मुक्त हो सकें। वहीं यहां पितरों के तर्पण से बैकुंठ के द्वार भी खुलते हैं।

पेड़ (Mystery of Pishachamochan Kund) में सिक्के या कील गाड़ने का विधान
पेड़ में सिक्के या कील गाड़ने का विधान 12 महीने का होता है, लेकिन पितृ पक्ष के 15 दिन बेहद खास माने जाते हैं। ये पक्ष पितृ लोक में रहने वाले पितरों और प्रेत योनियों में भटकती आत्माओं का मुक्ति द्वार माना गया है। गया में पितरों का श्राद्ध होता है। लेकिन, पिशाचमोचन में पितरों के अलावा घात प्रतिघात और अकाल मृत्यु में मारे गए ज्ञात अज्ञात आत्माओं के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध होता है। इस पक्ष में किया गया श्राद्ध आत्माओं को मोक्ष दिलाता है।

तीर्थ पुरोहित सौरभ दीक्षित ने बतायी ये बात
इसके बारे में बताते हुए पिशाचमोचन के तीर्थ पुरोहित सौरभ दीक्षित ने बताया कि पितृपक्ष जो पित्तरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए माना जाता है और पिशाचमोचन (Mystery of Pishachamochan Kund) वरदानी तीर्थ माना जाता है और गंगा अवतरण के पहले ही काशी के पिशाचमोचन कुंड की उत्पत्ति मानी जाती है। यहाँ सबसे पहले ब्रम्ह राक्षस को ही मुक्ति मिली थी तब से यह माना जाता है कि यहाँ आने वाले लोगों को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

अकाल मृत्यु के नाम पर भी लगाया जाता है सिक्का
इसके साथ ही उन्होंने पेड़ में लगाये गये सिक्के और कील के महत्त्व के बारे में बताया कि ये इसीलिए लगाया जाता है कि श्रद्धालुओं को ध्यान रहें कि हमारे पितृ यहाँ पर हैं। वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि प्रेत बाधाओं से दूर रहने के लिए ये निवारण किया जाता है। इसके साथ ही अकाल मृत्यु के नाम से भी यहाँ सिक्के और किल पेड़ पर लगाये जाते हैं।

श्राद्धकर्म के समय तामसिक भोजन से रहें दूर
पितरों की प्रसन्नता के लिए 15 दिन तक बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए। इससे धन की हानि होती है। श्राद्ध पक्ष में तामसिक भोजन से पूरी तरह परहेज रखना चाहिए और सात्विक भोजन करें। ब्रह्म पुराण के अनुसार पितृपक्ष में पंचबलि करने से पितृदोष का निवारण होता है। पंचबलि के लिए सबसे पहला ग्रास (भोजन) गाय, दूसरा ग्रास कुत्ता, तीसरा ग्रास कौआ के लिए निकाला जाता है। इसके बाद चौथा ग्रास देव बलि होता है, जिसे जल में प्रवाहित किया जाता है अथवा गाय को देते हैं। पांचवा ग्रास चीटियों के लिए रखना चाहिए।
तो हमने बताई आपको काशी के पिशाचमोचन कुंड (Mystery of Pishachamochan Kund) से जुडी सभी बात और यहाँ पर लगाये जाने वाले सिक्कों और किलो से जुड़े पुरे रहस्य के बारे में। आशा करते हैं कि आपको लेख पसंद आया होगा।