Varanasi: दीपावली के उत्सव के बाद अब वाराणसी के प्रसिद्ध तुलसी घाट पर होने वाली नाग नथैया लीला की तैयारियों में तेजी आ गई है। यह विशेष आयोजन इस वर्ष मंगलवार को आयोजित किया जाएगा। नाग नथैया लीला की परंपरा लगभग 498 साल पहले गोस्वामी तुलसीदास द्वारा शुरू की गई थी, जब उन्होंने काशी के भदैनी क्षेत्र में कार्तिक माह के दौरान श्रीकृष्ण लीला का प्रारंभ किया था। इस अवसर पर श्रद्धा और भक्ति का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है।
इस समारोह के दौरान तुलसी घाट गोकुल की छवि में तब्दील हो जाता है, जो उत्तरवाहिनी गंगा और यमुना का प्रतीक बनता है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा प्रारंभ की गई इस 22 दिवसीय लीला में भगवान राम की भक्ति के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया जाता है। लीला के दौरान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव, पूतना वध, कंस वध और गोवर्धन पर्वत की कथा का मंचन किया जाता है।
Varanasi: एक महीने होता है पात्रों का चयन
इस आयोजन के लिए एक महीने पहले कृष्ण, बलराम और राधिका की भूमिकाओं के पात्रों का चयन किया जाता है। तुलसी घाट पर तैयारियों का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। पीपा पुल की व्यवस्था की गई है, बैरिकेडिंग का कार्य चल रहा है, और नाग के फन और धड़ को सजाया जा रहा है। नाग के फन को रंग-बिरंगे रंगों से सजाने के साथ ही उसमें रोशनी भी लगाई जा रही है। नाग के शरीर का निर्माण कपड़े और पुआल से किया गया है।
इस लीला में कदम के पेड़ का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसी पेड़ पर भगवान कृष्ण प्रकट होते हैं। भक्तों को दर्शन देने के बाद, भगवान श्रीकृष्ण गंगा रूपी यमुना में बाल निकालने के लिए कूदते हैं। इस बार भगवान श्रीकृष्ण जल में 4:40 पर छलांग लगाएंगे, और जैसे ही वह जल में कूदेंगे, पूरा घाट “कृष्ण भगवान की जय” और “हर हर महादेव” के जयकारों से गूंज उठेगा। इस बार इस भव्य आयोजन में लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है।