Varanasi: निरंजनी अखाड़े के साधु-संत बुधवार की सुबह पंचक्रोशी यात्रा पर निकल चुके हैं। यात्रा के पहले दिन नागा साधु-संतों का पहला पड़ाव कर्मदेश्वर महादेव मंदिर पर हुआ, जहां वे सात नंबर धर्मशाला में ठहरे हुए हैं।
अखाड़े के महंत रवींद्र गिरि महाराज ने बताया कि हरिद्वार से अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि महाराज दो-तीन दिन में वाराणसी पहुंचेंगे। इसके बाद उनकी अगुवाई में 200 से अधिक नागा साधु-संत यात्रा में शामिल होंगे।
Varanasi: पहले पड़ाव पर पहुंचे सैकड़ों साधु
श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के थानापति विवेक भारती ने बताया कि अस्सी घाट से पैदल यात्रा करते हुए साधु-संत पहले पड़ाव कंदवा स्थित कर्मदेश्वर महादेव मंदिर पहुंच चुके हैं। यहां रात्रि विश्राम के बाद अगली सुबह पूजन-अर्चन कर भीमचंडी के लिए प्रस्थान करेंगे।
पांच दिनों में पूरी होगी यात्रा
नागा साधुओं की यात्रा पांच दिनों तक चलेगी, प्रतिदिन 15-15 किमी की दूरी तय की जाएगी। साधु-संत भीमचंडी, रामेश्वर, पांचों पंडवा और कपिलधारा होते हुए मणिकर्णिका घाट पर संकल्प पूरा करेंगे। सभी पांच पड़ावों पर पूजन-अर्चन किया जाएगा।
त्रेता युग से चली आ रही है यह परंपरा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत त्रेता युग में हुई थी। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने अपने भाइयों भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और पत्नी सीता के साथ यह यात्रा की थी। श्रीराम ने रामेश्वरम मंदिर में शिवलिंग स्थापित किया था और यह यात्रा अपने पिता राजा दशरथ को श्रवण कुमार के माता-पिता के श्राप से मुक्त कराने के लिए की थी। दूसरी बार रावण वध के बाद ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति के लिए श्रीराम ने सीता और लक्ष्मण के साथ पंचक्रोशी परिक्रमा की थी। द्वापर युग में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान द्रौपदी के साथ यह यात्रा की थी।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
जैसे ही नागा साधु कर्मदेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे, दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। धर्मशाला में साधु-संत अलग-अलग स्थानों पर रुके हुए हैं, और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है।
Highlights
अगले चरण में साधु-संत भीमचंडी से रामेश्वर, पांचों पंडवा और कपिलधारा होते हुए मणिकर्णिका घाट पर यात्रा का समापन करेंगे। इस ऐतिहासिक परिक्रमा को देखने और पुण्य अर्जित करने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं।