वाराणसी। नाग पंचमी (Nagpanchami 2023) यानि नागों के पूजन का एक खास दिन, घर-घर लोगों ने दूध मिश्रित धान के लावा के साथ छोटे गुरु बड़े गुरु के रुप में विद्यमान नागों का पूजन किया। इसके साथ ही काशी की परम्परानुसार जैतपुरा स्थित महर्षि पतंजलि की तपोस्थली नाग कूप पर विराजमान भगवान नागेश्वर का भी पूजन किया।
सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार नागेश्वर महादेव के दर्शन को लगी रही। सुरक्षा व्यवस्था के बीच सभी कतारबद्ध होकर भगवान नागेश्वर का पूजन किया। नागकूप में बहुत से भक्तों ने स्नान भी किया। इसके साथ ही क्षेत्र में मिल रहे नाग नागिन के जोड़ों का भी लोगों ने पूजन कर नागकूप में विसर्जन किया। इस दौरान भक्तों ने नागकूप में दूध और लावा भी अपर्ण किया। दर्शन करने को जैतपुरा थाने से ही कतार लगी रही।

Nagpanchami 2023: काल सर्प का दोष भी होता है दूर
मान्यता है कि नागकूप में दर्शन पूजन से भक्तों को काल सर्प दोष (Nagpanchami 2023) से मुक्ति मिल जाती हैं। यही वजह है कि नाग पंचमी के पर्व पर यहां भक्तों की भीड़ होती हैं। कई भक्त इस खास दिन पर मंदिर में रुद्राभिषेक और काल सर्प दोष स मुक्ति के लिए पूजा भी कराते हैं। पुजारी कुंदन पांडेय ने बताया कि नागकूप नागलोक में जाने मार्ग भी है। मान्यता है कि इससे कुंडली से कालसर्प दोष खत्म होता है।
उन्होंने बताया कि इस प्राचीन कुंड में नागेश्वर महादेव का शिवलिंग है। नागदेवता को तुलसी की माला प्रिय है। इसलिए तुलसी की माला भी चढ़ाई जाती है। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस कूप में लोग स्नान भी करते हैं।

महर्षि पतंजलि करते थे तपस्या
नाग कूप के रास्ते महर्षि पतंजलि काशी से पताल लोक (Nagpanchami 2023) में जाकर तपस्या किया करते थे। महर्षि पतंजलि ने इस स्थान से योगसूत्र की रचना की थी। ऐसे में इस कुंड (नागकूप) में स्थान और ध्यान से कई बीमारियों से लोगों को मुक्ति मिलती है। इस प्राचीन कुंड में नागेश्वर महादेव का शिवलिंग विराजमान है । बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार यह वह स्थल है जहां से पाताल एवं नागलोक जाने का रास्ता है ।