इस वक़्त इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला लिया हैं जिसमें उन्होंने लोक गायिका नेहा सिंह राठौड़ (Neha Singh Rathore) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में केस दर्ज किया था अब इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें राहत देने से इंकार दिया हैं।
आपको बतादें कि शुक्रवार को नेहा सिंह राठौर (Neha Singh Rathore) की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए लखनऊ बेंच ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया हैं साथ ही बेंच ने कहा कि नेहा सिंह ने जांच में किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं किया हैं. ऐसे में अब लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज केस में कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया हैं।
नेहा सिंह राठोर ने की जमानत अर्जी दायर
इस दौरान,जस्टिस बृजराज सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि नेहा सिंह राठौर (Neha Singh Rathore) ने अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी से पहले जमानत देने की गुजारिश की थी।
जहां बीते 19 सितंबर को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने नेहा (Neha Singh Rathore) की उस याचिका को खारिज कर दिया था और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार चुनाव और हिंदू-मुस्लिम राजनीति से जुड़े अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की थी.
मामले को सुप्रीम कोर्ट ने भी किया ख़ारिज
गौरतलब हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि FIR की जांच में अदालत का हस्तक्षेप उचित नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने नेहा सिंह राठौड़ (Neha Singh Rathore) को यह आज़ादी दी है कि वह ट्रायल या डिस्चार्ज प्रक्रिया के दौरान आरोप को चुनौती दे सकती हैं। फिलहाल, किसी तरह की अंतरिम राहत देने से सुप्रीम कोर्ट ने भी इंकार कर दिया था।
वहीं, ऐसे में उनके की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि सोशल मीडिया पर की गईं टिप्पणियां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विषय हैं. पूरे बयान पर देश की एकता-अखंडता को खतरे में डालने या देशद्रोह की धाराएं नहीं लगाई जा सकतीं हैं।
बतातें चलें कि नेहा सिंह राठौड़ (Neha Singh Rathore) पर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज हुआ था. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिखा था कि मोदी बिहार आए ताकि पाकिस्तान को धमका सकें और राष्ट्रवाद के नाम पर वोट बटोर सकें।

