वाराणसी (Varanasi) में गंगा और उसकी सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में हो रही देरी को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाया है। सोमवार को एनजीटी ने वाराणसी के डीएम एस. राजलिंगम से गंगा की स्वच्छता और इन नदियों के पुनर्निर्माण की स्थिति पर सवाल किए।
Varanasi: गंगा के पानी की गुणवत्ता पर सवाल
एनजीटी पीठ ने डीएम से पूछा, “क्या आप वाराणसी में गंगा का पानी पी सकते हैं? क्या यह आचमन और स्नान के योग्य है?” इस सवाल पर डीएम की खामोशी को देखते हुए ट्रिब्यूनल ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर गंगा का पानी नहाने या पीने योग्य नहीं है, तो गंगा किनारे ऐसे बोर्ड क्यों नहीं लगाए जाते, जो इसे स्पष्ट रूप से बताएं। इसके जवाब में डीएम ने कहा कि इस तरह के निर्णय उनका नहीं, बल्कि शासन के स्तर पर होते हैं, और वह अपनी जिम्मेदारी के अनुसार काम करते हैं।
एनजीटी ने पहले भी किया था जुर्माना
एनजीटी ने तीन महीने पहले डीएम पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था, जब उन्होंने गंगा के पानी की स्थिति सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए थे। सोमवार को ट्रिब्यूनल ने डीएम को फटकार लगाते हुए कहा कि उनके पास पर्याप्त अधिकार हैं और उन्हें “हेल्पलेस” नहीं दिखना चाहिए। एनजीटी ने सरकार के अधिवक्ता को गंगा और वरुणा-असि के जीर्णोद्धार की वर्तमान स्थिति पर जल्द हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया, जिसे 13 दिसंबर को पेश किया जाएगा।
जीर्णोद्धार में देरी पर चिंता
गंगा और उसकी सहायक नदियों के जीर्णोद्धार का प्रोजेक्ट 2021 में एनजीटी द्वारा स्वीकृत किया गया था और इसके लिए 5 साल की समय सीमा तय की गई थी। हालांकि, अब तक इन नदियों के जीर्णोद्धार का कोई ठोस काम जमीन पर नहीं दिख रहा। अधिकारियों की मीटिंग्स और बजट तय किए जा रहे हैं, लेकिन प्रोजेक्ट की प्रगति स्थिर है। वरुणा और असि के उद्गम स्थल भी पहले जैसे हैं, जबकि इन दोनों की कायाकल्प के लिए एनजीटी ने 12 महीने का समय तय किया था, जो अब 33 महीने तक बढ़ चुका है।
Highlights
एनजीटी ने दी अगली तारीख
एनजीटी ने इस मामले में 13 दिसंबर को अगली सुनवाई तय की है, और सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है। इस सुनवाई में जीर्णोद्धार की गति और कार्यों के वास्तविक स्तर पर चर्चा होगी।
Comments 1