- दोनों नगरीय निकायों (Nikay Chunav 2023) की शत-प्रतिशत सीटों पर सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार
- पूरा नहीं हो सका समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व आम आदमी पार्टी का टार्गेट
- कांग्रेस को अब पता चला उनके 11 हैं निर्दल, बसपा सिंबल पर लिस्ट से इतर भी प्रत्याशी
वाराणसी। नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान आगामी चार मई को होना है। उसमें राजनीतिक दलों से किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों के अलावा निर्दल उम्मीदवारों के भाग्य का भी फैसला होगा। सभी अपने-अपने ढंग से चुनाव प्रचार और घर-घर जनसंपर्क में जुटे हुए हैं। विशेषकर पॉलिटिकल पार्टियों, उनके नेताओं और कैंडीडेट्स ने मान-मनुहार समेत सीट जीतने के दांव-पेंच में मानो अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। उनकी इन्हीं दौड़धूप के बीच अंदरूनी हलचल और सुगबुगाहटों की मानें तो तमाम बड़े दल और उनके उम्मीदवार भितरघात से अछूते नहीं हैं।
खास यह कि जिन बड़ी पार्टियों ने नगर निगम और नगर पंचायत गंगापुर की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने के दावे किये थे उनमें से एकमात्र भारतीय जनता पार्टी के ही कैंडीडेट सभी सीटों पर लड़ रहे हैं। जबकि कांग्रेस, सपा, बसपा तथा ‘आप’ के साथ ऐसा नहीं है। इन दलों में से कई कार्यकर्ता टिकट न मिलने के चलते निर्दल के तौर पर मैदान में उतर पड़े हैं। कुछ लोग पाला बदलकर चुनाव मैदान में हैं। नगर निगम के महापौर एवं पार्षद पदों समेत नगर पंचायत गंगापुर के अध्यक्ष तथा सदस्य सीटों के इस इलेक्शन में प्रत्याशियों को लेकर पार्टियों के दावे और हकीकत में अंतर दिख रहा है।
कांग्रेस से 86 उम्मीदवार मैदान में
कांग्रेस ने हर एक सीट पर उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया था। दोनों निकायों की सीटों को लेकर इस दल के प्रत्याशियों की संख्या देखें तो नगर पंचायत गंगापुर में सदस्य पद की दस सीटों में दो पर कांग्रेस प्रत्याशी नहीं है। इस निकाय में बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी से एक भी कैंडीडेट की उतारा नहीं गया है। दूसरी ओर, कांग्रेस से नगर निगम में पार्षद पदों पर करीब 86 उम्मीदवार पार्टी सिंबल पर मैदान में हैं। जबकि संगठन महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे के मुताबिक सभी सौ वार्डों में प्रत्याशी उतारे गये थे। उनमें से तीन का पर्चा खारिज होने के बाद 97 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
इधर, चर्चाओं को मानें तो कांग्रेस में रहे 11 कार्यकर्ता ऐसे हैं जो निर्दल इलेक्शन लड़ रहे हैं। गुरुवार की दोपहर इसका खुलासा होने पर संगठन के पदाधिकारी न सिर्फ अवाक रह गये बल्कि मान-मनौवल में भी जुट गये। दूसरी ओर, बसपा जिलाध्यक्ष रवि कुमार ने बताया कि उनके 45 कार्यकर्ता पार्षद पदों के लिए इलेक्शन लड़ रहे हैं। जबकि तथ्य बताते हैं कि लगभग 52 लोग संगठन के प्रतीक चिह्न पर चुनाव मैदान में हैं। खास यह कि बसपा जिलाध्यक्ष की ओर से जारी पार्षद पदों के प्रत्याशियों की सूची से अलग करीब आठ ऐसे प्रत्याशी हैं जो पार्टी के चुनाव चिह्न पर इलेक्शन लड़ रहे हैं।
उधर, सपा के सिंबल पर 98 कैंडीडेट पार्षदी के लिए मैदान में है। इधर, आम आदमी पार्टी ने स्वीकार किया कि नगर निगम के 35 वार्डों में उनके कैंडीडेट हैं। ‘आप’ के प्रदेश प्रवक्ता मुकेश सिंह ने बताया कि हमने शत-प्रतिशत सीटों पर प्रत्याशी उतारने लक्ष्य रखा था लेकिन उपयुक्त उम्मीदवार न मिलने के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका।
मेयर सीट को लेकर होगी लामबंदी !
चर्चा है कि जनपद में नगर निगम के महापौर पद को लेकर कई राजनीतिक दल एकजुट हो सकते हैं। लंबे वक्त से इस सीट पर भाजपा का वर्चस्व रहा है, जिसे तोड़ने के लिए भीतर ही भीतर खिचड़ी पक रही है। कुछ लोगों का मानना है कि मेयर सीट को लेकर वि•िान्न दल यदि भाजपा के विरुद्ध एकजुट हो गये तो परिणाम में रोचकता दिख सकती है। वहीं, महापौर पद के प्रत्याशियों को लेकर लोग अपने-अपने ढंग से आंकलन कर रहे हैं। कोई किसी कैंडीडेट की पिछली गतिविधियों और कार्यप्रणाली की समीक्षा कर रहा है तो कोई समाज में उसकी उपस्थिति-अनुपस्थिति को तौल रहा है। हालांकि चार मई को मतदान के बाद 13 मई को काउंटिंग के बाद रिजल्ट आने पर ही वास्तविकता का पता चलेगा।